प्रैक्टिस अलाउंस की नहीं दे रहे जानकारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी अस्पतालों में सेवारत अनेक डॉक्टर्स निजी प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे डॉक्टरों को नियमानुसार नॉन प्रैक्टिस अलाउंस नहीं लेना चाहिए। बावजूद नियमों को ताक पर रखकर अधिकतर डॉक्टर्स निजी प्रैक्टिस करते हुए भी नॉन प्रैक्टिस अलाउंस ले रहे हैं। इस कारण सरकारी तिजोरी को हर साल लाखों रुपए का चूना लगता है। एक स्वयंसेवी संगठन द्वारा शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में कौन-कौन से डॉक्टर्स नॉन प्रैक्टिस अलाउंस ले रहे हैं, इसकी जानकारी मांगी गई। यह जानकारी सूचना अधिकार कानून के तहत मांगने के बावजूद जानकारी देने में टालमटोल किया जा रहा है। ऐसा आरोप जनमंच संगठन ने लगाया है। दूसरी तरफ सूचना अधिकारी यह दावा कर रहे है कि, मांगी गई जानकारी डाक द्वारा भेज दी गई है। सोचने वाली बात है जब जानकारी दी गई है, तो आवेदक ने अपील का आवेदन क्यों किया।
जानकारी नहीं मिली, तो दिया अपील का आवेदन
नॉन प्रैक्टिस अलाउंस के नाम पर ली जा रही राशि के नाम पर सरकारी तिजोरी को लाखों का चूना लग रहा है। इस बारे में जनमंच के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद पांडे ने शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल से सूचना अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी थी। उन्होंने 7 फरवरी 2023 को सूचना अधिकार कानून के तहत आवेदन किया था, लेेकिन प्रशासन की तरफ से निर्धारित अवधि में जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गई। इस कारण 29 मार्च 2023 को फिर से अपील के रुपए में अावेदन किया गया। इस बात को भी एक महीना पूरा होने जा रहा है। बावजूद संबंधिक कार्यालय जानकारी देने में टालमटोल किया जा रहा है। ऐसा आरोप भी प्रमोद पांडे ने लगाया है। दूसरी तरफ सूचना अधिकारी यह दावा कर रहे है कि, मांगी गई जानकारी डाक द्वारा भेज दी गई है। सोचने वाली बात है जब जानकारी दी गई है, तो आवेदक ने अपील का आवेदन क्यों किया।
35 फीसदी अलग से देने का विकल्प
सरकार की 2012 की अधिसूचना अनुसार राज्यभर के सरकारी अस्पताल, महाविद्यालयों में सेवारत सभी सरकारी चिकित्सा अधिकारी व प्राध्यापकों को मूल वेतन की 35 फीसदी राशि नॉन प्रैक्टिस अलाउंस यानि भत्ते के रूप में दी जाती है। यह राशि उन डॉक्टरों व प्राध्यापकों को दी जाती है, जो निजी प्रैक्टिस नहीं करते। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ न्याय कर सकें, इसलिए सरकार ने 35 फीसदी राशि अलग से देने का विकल्प शुुरु किया है। इस अधिसूचना के लागू होने के बाद सरकारी अस्पतालों व महाविद्यालयों के डॉक्टरों व प्राध्यापकों को हर महीने औसत 50 हजार रुपए मिलते हैं। ऐसा होते हुए भी अधिकतर डॉक्टर्स व प्राध्यापक अपनी निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने अपने क्लिनिक शुरु कर लिए है। यह सरकारी की अधिसूचना का उल्लंघन है।
Created On :   26 April 2023 12:19 PM IST