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कड़े नियमों के बीच हुई नीट परीक्षा, पानी की बोतल-रुमाल ले जाने की अनुमति नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित नीट प्रवेश परीक्षा में नियम कड़े थे। विद्यार्थियों को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि उन्हें एनटीए द्वारा दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। विद्यार्थियों को आधी आस्तीन की लूज टीशर्ट और साधा पैंट पहनने के निर्देश थे। विद्यार्थियों को जूते नहीं बलकि साधी स्लीपर की चप्पल पहन कर परीक्षा केंद्र में आने के निर्देश दिए गए थे। रविवार को परीक्षा में इसका असर दिखा, अधिकांश विद्यार्थी ड्रेस कोड में नजर आए। दोपहर 2 बजे से शाम 5 तक आयोजित इस परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को हर हाल में दोपहर 1.30 बजे तक परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के आदेश दिए गए थे। परीक्षा केंद्रों पर 1.40 मीनट तक प्रवेश दिए गए। शहर में नागपुर जिले के अलावा नजदीकी जिलों और सीमावर्ती राज्यों से भी विद्यार्थी परीक्षा देने पहुंचे थे। नागपुर में करीब 20 हजार विद्यार्थियों ने यह परीक्षा दी।
बायो आसान, फिजिक्स ने किया परेशान
यह परीक्षा कुल 720 अंकों थी, जिसमें फिजिक्स और केमेस्ट्री के 45-45 प्रश्न 180-180 अंकों के लिए पूछे गए। बायोलॉजी के 90 प्रश्न 360 अंकों के लिए पूछे गए। गड़चिरोली के सिरोंचा से परीक्षा देने पहुंचे आसिफ अली ने बताया कि उन्हें बायोलॉजी का हिस्सा सबसे सरल तो फिजिक्स का हिस्सा सबसे कठिन लगा। प्रणाली राउत के अनुसार प्रश्न लॉजिकल बेसिस पर ज्यादा थे, लिहाजा उन्हें हल करने में अधिक समय लगा।
यह हुई परेशानी
- एनटीए द्वारा ली जा रही परीक्षा में विद्यार्थियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस बार सीबीएसई की जगह एनटीए यह परीक्षा ले रहा है। ऐसे में परीक्षा केंद्र में उत्तरपुस्तिका कैसी होगी, अन्य किन-किन चीजों का सामना करना पड़ेगा विद्यार्थी इससे अवगत नहीं थे।
- परीक्षा केंद्र पर विद्यार्थियों को कुल 5 बार अपने हस्ताक्षर करने पड़े। दो बार अटेंडेंस शीट पर, एक बार ओएमआर शीट पर और एक बार अपने प्रश्न पत्र पर। इनविजिलेटर्स की मानें तो बार बार हस्ताक्षर लेने से विद्यार्थियों पर दबाव पड़ रहा था, विद्यार्थी डर में थे कि कहीं कोई हस्ताक्षर छूट ना जाएं। इसके अलावा उन्हें इस बार के प्रश्नपत्र और उत्तरपूस्तिका की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। उन्हें पहले ही डमी दी जाती या फिर वीड़ियो ग्राफिक्स पर शिक्षित किया जाता तो बेहतर होता।
- मई माह की गर्मी के बीच दोपहर के सत्र में आयोजित परीक्षा परीक्षार्थियों और पालकों को रास नहीं आई। ऊपर से परीक्षा केंद्र में पानी की बोतल या फिर रुमाल ले जाने तक की अनुमति नहीं थी। सभी परीक्षा कक्षों में कुलर-एसी की सुविधा नहीं थी। परीक्षार्थियों को गर्मी मंे ही परीक्षा देनी पड़ी। कुछ परीक्षा केंद्रों पर विद्यार्थियों की तबीयत भी बिगड़ी। हिंगणा रोड़ स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई परीक्षा में कुछ विद्यार्थियों को फर्स्ट एड देनी पड़ी। कई परीक्षा केंद्रों पर पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
- नीट की परीक्षा के लिए एक ही कॉलेज की अलग अलग शाखाओं में परीक्षा केंद्र थे। इससे विद्यार्थियों को नाम और पते को लेकर संभ्रम हुआ। कुछ परीक्षार्थी तो नंदनवन शाखा की जगह एमआईडीसी शाखा पहुंचे, जिससे उन्हें परीक्षा से वंचित रहना पड़ा।
Created On :   5 May 2019 3:16 PM GMT