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पीओपी मूर्तियां विसर्जन के बाद तैरती रहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महापौर के निर्देश और स्थानीय प्रशासन के नियमों को ताक पर रख दुकानदारों ने पीओपी की मूर्तियां बेचीं। गणेशभक्तों ने भी इन मूर्तियों को खरीदकर स्थापना की। स्थापना के दूसरे दिन से एक दिवसीय गणेश विसर्जन शुरू हुआ। शनिवार को शहर में 3000 गणेश मूर्तियों का विसर्जन होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। वहीं रविवार को भी देर रात तक 2000 प्रतिमाओं का विसर्जन होने का अनुमान लगाया गया है। दो दिन के विसर्जन के दौरान 20 फीसदी मूर्तियां पीओपी की पायी गई हैं। यानी 1000 पीओपी की प्रतिमाएं विसर्जित की गई हैं।
नीचे जाकर ऊपर आती हैं मूर्तियां
शुक्रवार से गणेशोत्सव की शुरुआत हुई है। शनिवार से एक दिवसीय बप्पा का विसर्जन करना शुरू हुआ। रविवार को भी यह क्रम जारी रहा। इन दो दिनों में करीब 5000 मूर्तियों का विसर्जन होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। शहर में लगाए गए कृत्रिम टैंकों में मूर्तियों का विसर्जन किया जा रहा है। जब गणेशभक्त मूर्तियों का विसर्जन करते है तो कुछ मूर्तियां पानी में डूबकर विसर्जित हो जाती हैं। वहीं कुछ मूर्तियां नीचे जाकर ऊपर आ जाती हैं। यह मूर्तियां पानी के ऊपर तैरती दिखायी देती हैं। यह मूर्तियां पीओपी से बनी होती हैं। दो दिन में करीब 20 फीसदी यानी 1000 मूर्तियां पीओपी की मूर्तियां विसर्जित होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
440 में 88 पीओपी की
ग्रीन विजिल फाउंडेशन के उपकप्तान मेहुल कोसुरकर ने बताया कि टीम विसर्जन कार्य में सह्योग कर मिट्टी के गणेशजी स्थापित करने जागरूकता अभियान चला रहे हैं। फुटाला तालाब के समीप चार टैंकों में दो दिन में 440 मूर्तियों का विसर्जन हुआ है। इनमें 20 फीसदी यानी 88 मूर्तियां पीआेपी की पायी गई हैं। 60 मूर्तियां पानी के उपर तैरती दिखायी दीं। वहीं पीओपी के साथ अन्य सामग्री मिलावट कर बनाई गई अन्य मूर्तियां पानी में नीचे जाकर बैठ गईं। इन मूर्तियों में पीओपी के साथ दूसरी सामग्री मिक्स होने से कुछ घंटों में मूर्तियां पानी में घुल जाती हैं।
कार्रवाई का खास असर नहीं
महापौर दयाशंकर तिवारी ने पीओपी मूर्तियों की पाबंदी को लेकर स्थानीय प्रशासन के संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए थे। मनपा प्रशासन ने जोन स्तर पर चार दिन कार्रवाई की, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ। गुरुवार की शाम 5 बजे से शुक्रवार की रात 12 बजे तक पीओपी की मूर्तियां बेची गईं। सूत्रों के अनुसार इसमें पिछले साल की बची हुईं मूर्तियों का समावेश था। पर्यावरण प्रेमी के अनुसार मिट्टी की मूर्तियों को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल महीने से ही विविध प्रसार माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। तभी पीअोपी मूर्तियों पर पूरी तरह रोक लग पाएगी।
Created On :   13 Sept 2021 11:28 AM IST