Nagpur: गुजरा जमाना, आज भी नहीं बदली रेडियो में डिजिटाइजेशन तकनीक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आज के आधुनिक दौर में टीवी, मोबाइल, इंटरनेट जैसी अनेक सुविधाएं सूचनाओं के साथ-साथ मनोरंजन का भी साधन बन चुकी हैं, मगर पुराने रेडियो स्टाइल को हम पीछे छोड़ चुके हैं। रेडियो में सिर्फ निजी एफएम के बारे में ही जानकारी होती है। भारत सरकार के दो चैनल हैं- आकाशवाणी और विविध भारती है। विविध भारती एफएम (फ्रीक्वेंसी मॉड्यूल) है और आकाशवाणी एमडब्ल्यू (मीडियम वेव) हाेता है। नागपुर स्थित स्टेशन से विविध भारती का प्रसारण बंद हो गया था। इसके एंटिना टाॅवर के कारण विविध भारती एफएम बंद किया गया था। हालांकि मीडियम वेव में लगातार प्रसारण जारी था।
1991 में बने एक टॉवर पर आधारित पूरे शहर के एफएम
नागपुर में आकाशवाणी केंद्र है। यहां से दो चैनल चलाए जाते हैं- विविध भारती और आकाशवाणी। विविध भारती के प्रसारण के लिए सेमिनरी हिल्स पर दूरदर्शन परिसर में लगे एंटीना का उपयोग किया जाता है। यहां से सिग्नल उस एंटीना तक भेजे जाते हैं और फिर सैटेलाइट के द्वारा प्रसारण किया जाता है। यह एंटीना टॉवर 1991 में लगाया गया था। तब से अब तक यह कार्य कर रहा है। इस टॉवर पर 10 किलो तक उपकरण लगाए जा सकते हैं, लेकिन विविध भारती के साथ अन्य निजी एफएम भी इसी एंटीना का उपयोग करते हैं।
प्रसारण के लिए यह एकमात्र एंटीना है। बढ़ते उपयोग के कारण इस पर उपकरण भी बढ़ते गए, तो टाॅवर की संरचना को मजबूत करना जरूरी हो गया। इसे अतिरिक्त सपोर्ट देकर और अन्य उपायों से मजबूत किया गया। यह कार्य दिसंबर में भी किया गया था। गत दिनों भी यही कार्य किया जा रहा था, जिसके कारण विविध भारती एफएम बंद रखा गया था। हाल ही में इस टॉवर पर डीटीटी (डिजिटल टेलीविजन टांसमिशन) सिस्टम लगाया गया है।
चार फ्रीक्वेंसी
हम जो रेडियो सुनते हैं। वह केवल एफएम रेडियो होता है, जिसकी फ्रीक्वेंसी 88 से 108 मेगा हर्ट्ज होती है। इसमें शहर के लोकल एफएम और विविध भारती सुन सकते हैं। इसकी रेंज 70-80 किमी तक की होती है। इसके अलावा एमडब्ल्यू होता है। यह 500 से 600 किलोहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी में चलता है। इस पर आकाशवाणी प्रसारित किया जाता है। नागपुर में यह 300 किलोवॉट का है। इसकी रेंज 300-400 किमी तक है। जितनी ज्यादा किलोवॉट का चैनल होगा, उसकी रेंज उतनी अधिक होती है। तीसरी टेल बैंड फ्रीक्वेंसी होती है। इसमें टीवी के कुछ शो रेडियो पर प्रसारित किए जाते हैं। चौथा होता है शॉर्ट वेव, यह उत्तरी या दक्षिणी क्षेत्र में काम करता है।
31 मार्च से नहीं दिखेंगे राष्ट्रीय व प्रादेशिक चैनल
आगामी 31 मार्च से दूरदर्शन के राष्ट्रीय व प्रादेशिक चैनल विदर्भ के कुछ क्षेत्रों में दिखाई नहीं देंगे। नई दिल्ली, प्रसार भारती व दूरदर्शन निदेशालय ने सूचना जारी कर बताया कि, दूरदर्शन रिले सेंटर (एलपीटी), हिंगणघाट (चैनल#32), मोर्शी (चैनल#09) तथा तुमसर (चैनल#08) से प्रसारित किए जाने वाले दूरदर्शन के राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक चैनलों के एनालॉग टेरेस्ट्रियल टीवी प्रसारण को 31 मार्च 2020 की मध्य रात्रि से बंद किया जा रहा है। सभी चैनल अब टेरेस्ट्रियल मोड में उपलब्ध नहीं होंगे। सभी चैनल दूरदर्शन की डीटीएच सेवा ‘डीडी फ्री-डिश’ में अन्य चैनल समूहों के साथ उपलब्ध हैं। सेट-टॉप बॉक्स, डिश एंटीना तथा अन्य सहायक उपकरण स्थानीय बाजार में उपलब्ध हैं। कार्यालय ने आह्वान किया कि, अन्य किसी भी जानकारी के लिए नजदीकी दूरदर्शन कार्यालय में संपर्क करें। अथवा उनकी वेबसाइट www.doordarshan.gov.in पर लॉग इन करें।
यह है पुरानी तकनीक
एफएम और मीडियम वेव सालों पुरानी तकनीक है, जो कि आज भी कार्य करती है। इसलिए फ्रिक्वेंसी सेट करते ही प्रसारण सुनाई देता है। वह तकनीक आज भी उपयोग की जा रही है। हालांकि इसमें उपयोग होने वाले उपकरणों को बदला गया। पहले ट्रांसमीटर और एनालॉग मीटर का उपयोग करते थे, अब यह सभी उपकरण डिजिटाइज हो चुके हैं।
यहां हैं स्टेशन
विदर्भ में अमरावती, अकोला, चंद्रपुर, गोंदिया, ब्रह्मपुरी और वर्धा में स्टेशन हैं। यहां के ज्यादातर स्टेशन 10 किलोवॉट के हैं, जिसकी रेंज 60-70 तक की रहती है। इसके अलावा निजी एफएम रहते हैं तो वह 100 वॉट के होते हैं, जिनकी रेंज 20-30 किलोमीटर तक होती है। शहर के बाहर जाते ही वह एफएम बंद हो जाते हैं।
स्ट्रीमिंग शुरू की है
नई तकनीक आई है, लेकिन उसका उपयोग हम प्रसारण में कर सकते हैं। श्रोता प्रसारण सुनने के लिए नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमने स्ट्रीमिंग शुरू की है, जिसमें इंटरनेट की मदद से आप विदेश में भी प्रसारण सुन सकते हैं, लेकिन इसमें इंटरनेट होना आवश्यक है। पिछले दिनों कार्य के कारण एफएम बंद किया गया था। मीडियम वेव आकाशवाणी का प्रसारण जारी था। -पी.के. कावड़े, डीडीजी, आकाशवाणी
Created On :   6 March 2020 1:47 PM IST
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