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12 कर्मियों की सेवा समाप्त करने के मुंढे के फैसले पर मुहर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे के उस फैसले को सही करार दिया था जिसके तहत उन्होंने 12 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। इसमें सुभाष श्रीराम घाटे, रत्नाकर भानुदास धोटे, दीपक अंबादास पोटफोडे, विनायक दादाराव पेंडके, गंगाधर बाजीराव भिवगडे, प्रकाश हरिशचंद्र बर्डे, शालू पंचम खोपडे गिर्डे, जीवक भिकरूजी श्यामकुले, मोहम्मद यूसुफ मोहम्मद याकुब, विजय माधवराव हटवार, सुरेश भैय्यालालजी बर्वे और अरुण पंचम खोपडे का समावेश है। मामले में मनपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस.कप्तान और एड.शरद भट्टड ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. आनंद परचुरे ने पक्ष रखा।
सन् 1993 का है मामला
यह मामला कई दशकों पुराना है। मनपा ने 1 सितंबर 1993 को विज्ञापन जारी करके 32 विभागों में 161 पदों की नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए थे। इसके लिए 4 हजार 90 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। 152 लोगों का चयन सूची और 207 लोगों का प्रतीक्षासूची में नाम आया। तब भी इस पर विवाद हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट ने पदभर्ती को आगे बढ़ाकर अंतिम फैसला कोर्ट के आदेश के अधीन रखा था। नियुक्तियां तो हुईं, लेकिन फिर मनपा द्वारा नियुक्ति अड़तानी समिति की जांच में इस प्रक्रिया में कई अनियमितताएं भी मिलीं। इसके बाद हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त को जरूरी कार्रवाई के आदेश दिए। लेकिन मामले में नया मोड तब आया जब एक और नई समिति नियुक्त हुई। इस नई दटके समिति ने पिछली समिति की रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया। नतीजा ये हुआ कि 89 कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर लिया गया। लेकिन फिर 2020 में तुकाराम मुंढे ने मनपा की कमान संभाली और इस प्रकरण में नए सिरे से जांच की। अंतिम निष्कर्ष दिया कि उक्त कर्मचारियों को दोबारा सेवा में नहीं लिया जा सकता। अंतत: सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने भी मुंढे के फैसले को सही करार दिया।
Created On :   23 July 2020 2:16 PM IST