सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के ३२०० से ज्यादा पद खाली फिर भी ६३४ शिक्षक अतिशेष
डिजिटल डेस्क,पन्ना। प्रदेश की सरकार जहां सरकारी स्कूलों की शेैक्षणिक व्यवस्था को विश्व स्तरीय व्यवस्था के रूप में बदलने को लेकर अपना दावा कर रही है। सीएम राईज स्कूल योजना मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू भी की जा चुकी है किन्तु शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए शैक्षणिक सत्र में जो प्रत्येक जिलों में सीएम राईज विद्यालय शुरू किये गये थे उनकी व्यवस्थाए सत्र समापन के पहँुच जाने के बावजूद भी अपडेट नही हो पाई है। सीएम राईज स्कूल के रूप में नये विद्यालय प्रारंभ करने की वजह पुराने स्कूलों को सीएम राईज विद्यालय घोषित किया गया जिसके बाद शिक्षको के पद की पूर्ति प्राचार्य की पदस्थापना जैसी कार्यवाही को लेकर लंबे समय तक चली प्रक्रिया और इसके लेकर उठे विवाद चर्चाओं का विषय बना है। पन्ना जिले में ०६ सीएम राईज स्कूल खोले गए उनकी स्थिति गई गुजरी है। जिले में शेैक्षणिक व्यवस्था का ढाँचा काफी कमजोर है शिक्षा विभाग की पोर्टल में दर्ज जानकारी के अनुसार पन्ना जिले में प्राथामिक,माध्यमिक, हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूलों की संख्या कुल १८०७ है जिले के अधिकांश हायर सेकेण्डरी स्कूल और हाई स्कूलों में प्राचार्यो के पद खाली पडे हुए है।
शिक्षकों के पदस्थापन की बात कही जाए तो जिले में स्थित उक्त १८०७ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के कुल स्वीकृति पदों की संख्या ८२८६ है इसके विरूद्ध जिले में ५२८८ शिक्षको की पदस्थापना है और रिकॉर्ड संख्या में ३२३९ शिक्षकों के पद रिक्त पडे हुए है। जहां जिले में ३२०० से अधिक शिक्षकों के पद खाली है वहीं चौकाने वाली स्थिति यह भी है कि इतनी अधिक संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त होने के बावजूद भी विद्यालय में पदस्थ सरप्लस शिक्षकों की संख्या ६३४ है। सरप्लस शिक्षक अथवा अतिशेष शिक्षकों को कहा जाता है जो कि विद्यालय विशेष में शिक्षकों की पदस्थापना को लेकर सरकार द्वारा जो मापदण्ड निर्धारित किए गए है उसकी संख्यात्मक/विषयात्मक संख्या के अतिरिक्त पदस्थ है। ऐसे शिक्षकों के संबंध में सरकार द्वारा युक्ति-युक्तिकरण की नीति बनाई गई है जिसके जरिए अतिशेष शिक्षकों को उस विद्यालय से हटाकर जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है उनकी पदस्थापना किए जाने की कार्यवाही होनी चाहिए परंतु अतिशेष शिक्षकों का युक्ति-युक्तिकरण को लेकर समय-समय पर जब भी शिक्षा विभाग अथवा शासन स्तर से कार्यवाही शुरू हुई उसको अंतिम रूप तक क्रियान्वयन को लेकर शुरू की गई प्रक्रियाए बीच में ही रोक दी गई और युक्ति-युक्तिकरण की व्यवस्था ठण्डे बस्ते में पडी हुई है।
बीते माह मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय में पदस्थ अतिशेष शिक्षकों के युक्ति-युक्तिकरण की प्रक्रिया आरंभ कर अतिशेष शिक्षकों की पोर्टल पर ऑन लाईन सूची अपलोड की गई थी तथा इस संबंध में आपत्तियां भी ऑनलाईन मांगी गई थी इसकी कार्यवाही के लिए फरवरी के प्रथम सप्ताह का समय निर्धारित किया गया था जो कि गुजर चुका है परंतु इसी बीच कर्मचारी संगठनों द्वारा शिक्षकों के युक्ति-युक्तिकरण को लेकर जो कार्यवाही शुरू हुई थी उस पर रोक लगाते हुए युक्ति-युक्तिकरण कार्यवाही को रोक दिया गया है।
पन्ना विकासखण्ड में सबसे ज्यादा अतिशेष शिक्षक
पन्ना जिले में अतिशेष शिक्षको की संख्या कुल ६३४ है जिसमें सबसे ज्यादा अतिशेष शिक्षक पन्ना विकासखण्ड के सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे है। विकासखण्ड पन्ना में अतिशेष शिक्षकों की संख्या २८० है वहीं अन्य ब्लॉकों में जो अतिशेष शिक्षको के पदस्थ होने की स्थिति है उसमें अजयगढ ब्लॅाक में ९९, गुनौर ब्लॉक में ८४, पवई ब्लॉक मेंं ८६, और शाहनगर ब्लॉक में ८५ अतिशेष शिक्षक पदस्थ है। अतिशेष शिक्षकों में से ९० प्रतिशत से अधिक शिक्षक शहरी क्षेत्र में पदस्थ है। जिला मुख्यालय पन्ना नगर पालिका क्षेत्र स्थित कई सरकारी स्कूलों की स्थिति यह है कि स्कूलों में उपस्थित छात्रों की तुलना में पदस्थ शिक्षक अधिक देखे जा सकते है। शहरी क्षेत्रों के साथ ही इनके आसपास स्थित विद्यालयों में अधिकांश अतिशेष शिक्षक जमे हुए है।
पन्ना जिले के ८९ स्कूलों में नही है एक भी टीचर, २१२ मेंं सिंगल शिक्षक
जिले में कुल १८६७ स्कूलों में से शिक्षकों की पदस्थापन की बात की जाये तो ८९ स्कूलों की स्थिति यह है जहां पर एक भी शिक्षक पदस्थ नही है यह स्कूल अस्थाई रूप से नियुक्त होने वाले अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित हो रहे है वहां रिकार्ड संख्या में २१२ स्कूल ऐसे है जहां पर बस एक ही टीचर पदस्थ है ऐसे में शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में पठन-पाठन के कार्य की स्थिति और इनके संचालन की स्थिति अपने आप में एक बडा सवाल बनी हुई है।
राजनैतिकि और पद प्रभाव के सामने शिक्षा विभाग का प्रबंधन बौना
जिले में जहां ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की भारी कमी है लगभग तीन सैकडा विद्यालय ऐसे है जहां पर या तो शिक्षक नही है अथवा एक ही शिक्षक विद्यालय में पदस्थ है। इस तरह के विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है इन विद्यालयों में शासन से हजारो रूपए की वेतन लेने के बावजूद शिक्षक जाने को तैयार नही है। राजनैतिकि दखलंदाजी के सामने शिक्षा विभाग का प्रबंधन जिले में बौना साबित हो रहा है। शिक्षा विभाग में शिक्षकों की पदस्थापन को लेकर बीते सालों के दौरान जो गोलमाल हुआ वह जिले के शिक्षा विभाग में लंबे समय तक चर्चा में रहा और इसकी परिणाम यह है कि स्थानतंरण नीति को दरकिनार करते हुए शिक्षा अधिकरी कार्यालय से योजनाबद्ध तरीके से शिक्षकों की पदस्थापना बदलाव किया गया।
Created On :   27 Feb 2023 4:24 PM IST