कोरोना काल में युवा और इको क्लब में लाखों की गड़बड़ी

Millions of disturbances in youth and eco club during Corona period
कोरोना काल में युवा और इको क्लब में लाखों की गड़बड़ी
शिक्षा प्रणाली कोरोना काल में युवा और इको क्लब में लाखों की गड़बड़ी

डिजिटल डेस्क, साकोली (भंडारा)। केंद्र शासन की समग्र शिक्षा प्रणाली के तहत जिले के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित युवा व इको क्लब में कोरोना काल में लाखों रुपयों की गड़बड़ी होने का मामला सामने आया है। इसमें साकोली पंचायत समिति के तहत जिला परिषद की कुल 98 में 47 जिला परिषद शालाओं में लाखों रुपयों की गड़बड़ी होने का मामला उजागर हुआ है।  जिसके चलते प्रशासन की ओर से इस संपूर्ण मामले की जांच पड़ताल के लिए जांच समिति गठित की गई है, लेकिन जांच समिति गठित होकर लंबा समय बीत गया है, परंतु अब तक समिति द्वारा किसी भी तरह की रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। इधर, कुल 51 जिला परिषद शालाओं ने इस योजना को कोरोना काल में चलाना संभव नहीं है।  यह कहकर निधि लौटाई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार समग्र शिक्षा प्रणाली के तहत जिले की कुल 253 जिप की उच्च प्राथमिक शालाओं को कुल 25.30 लाख रुपए तथा कुल 529 जिप की प्राथमिक शालाओं के लिए 26.45 लाख रुपए इस तरह कुल 51.75 लाख रुपए का निधि मंजूर किया गया था।  जानकारी के अनुसार केंद्र शासन ने समग्र शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत युवा व इको क्लब को वर्ष 2019-20 में नवीनतापूर्ण उपक्रम के लिए राज्य के भंडारा व बीड़ इन दो जिलो का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयन किया था। इसके माध्यम से प्रथम चरण में वाद विवाद क्लब, कला एवं सांस्कृतिक क्लब, लघु िफल्म तैयार करने, विज्ञान क्लब, पुस्तक पठन क्लब, फोटोग्राफी क्लब, क्रीड़ा क्लब, स्वयं सुरक्षितता क्लब, पर्यावरण अथवा इको क्लब आदि स्थापित किए गए तथा इसके लिए निधि उपलब्ध कराया गया था।

जानकारी के अनुसार इसमें सभी शालाओं को एकजुट होकर क्लब स्थापित करने, सूक्ष्म नियोजन करने व मंजूर प्रावधान में केंद्र स्तर पर दिए गए मार्गदर्शक सूचनाओं पर अमल करने के लिए विविध क्लब के कामकाज के लिए शिक्षकों की सहायता ली गई। जिसके बाद तहसील स्तर पर क्लब अनुसार जांच कर उनमें से उत्कृष्ट तीन क्लब की जानकारी जिला कार्यालय को भेजने तथा उत्कृष्ट काम करने वाले क्लब की जानकारी केंद्र शासन के शगून पोर्टल पर अपलोड करने व उससे जुड़ी रिपोर्ट प्रस्तृत करने के निर्देश दिए गए थे, परंतु इस बीच कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन से शालाएं बंद रही। बावजूद इसके लाखों रुपयांे के बिल निकालकर बड़े पैमाने भ्रष्टाचार किया गया, जिसकी जांच-पड़ताल शुरू है। 

इन गांवों की जिप शालाएं शामिल
तुलमापुरी, मोखे, पीटेझरी, किटाडी, सराटी, चीचगांव, मुंडीपार, उमरी, लवारी, सेंदुरवाफा क्रमांक दो, महालगांव, पाथरी, मोहघाटा, जांभली / सडक, वडद टोली, मालुटोला, बोदडे, महालगाव टोली,  कुंभली ,वलद ,गडकुंभली ,सावरबंद, बोंडे, सुकली, सोनका/ पळसगाव, उच्च प्राथमिक शाला साकोली क्रमांक एक, खैरलांजी, बरडकिनी, पवार टोली, पींडकेपार, शंकरपूर ,जांभली/ खांबा ,किनी /एकोडी,  बॉम्बेवाडा ,उसगांव, चांदोरी ,सानगडी क्रमांक एक, सांनगडी क्रमांक दोन, शिवनी बांध ,पलसगाव ,विहीरगांव ,सांनगांव ,झाडगांव, वडेगांव, केसलवाडा, वांगी ,नैनपुर /पापडा का समावेश है। जबकि बाकी शालाओं ने कोरोना काल में योजना चलाना संभव न होने की जानकारी देकर निधि वापिस किया है। 

लॉकडाउन में शालाएं बंद, फिर भी बिल तैयार
वर्ष 2019-20 में संपूर्ण देश में कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन में सभी शालाएं बंद दी थी। शाला बंद होते हुए भी झूठे दस्तावेज के आधार पर शाला का रंगरोगन, वाल कंपाउंड की सफेदी, टिफीन बाक्स, गैरशिक्षा सामग्री, कुर्सियों की खरीदारी, बिजली बिल का भुगतान, शाला में पंडाल लगाने, विद्यार्थी शाला में न होते हुए भी दो से तीन हजार रुपयों के नाश्ते के झूठे बिल तैयार कर लाखों रुपयों की गड़बड़ी की गई। उक्त मामला उजागर होने पर शासन के आदेश से सभी शालाओं को  निधि का उपयोग न करते हुए समग्र शिक्षा तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निधि वापिस भेजने के निर्देश दिए थे।
 

Created On :   27 July 2022 5:19 PM IST

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