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अमरावती की कई इमारतें जर्जर जो कभी भी ढह सकते हैं
विजय धामोरीकर, अमरावती । दिन रात चहल-पहलवाले प्रभात टॉकीज परिसर स्थित अतिजर्जर राजेंद्र लॉज की दो मंजिला इमारत के निचले माले की इमारत की छत रविवार को दोपहर ढह जाने से मलबे के नीचे दबकर पांच बेगुनाह लोगों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। इस गंभीर घटना के बाद मनपा ने सोमवार को फिर एक बार शहर की सी कैटेगिरी की 32 इमारतांे को खाली करवाने के निर्देश दिए हैं। किंतु जिस राजेंद्र लॉज के तल माले की दुकान ढह गई उसी परिसर के आसपास के तीन लॉज जर्जर स्थिति में हैं और पिछले 8 वर्षों से मनपा इस लॉज के मालिकों को नोटिस दे चुकी है।
चित्रा चौक स्थित सेंट्रल लॉज का अधिकांश हिस्सा जर्जर हो चुका है। लेकिन उसे गिराने की दिशा में मनपा ने अब तक कोई पहल नहीं की। इस लॉज से कुछ ही दूरी पर सरोज टॉकीज परिसर स्थित हीरा लॉज की इमारत भी जर्जर हो चुकी है। उसका कुछ हिस्सा कोरोनाकाल में ढह गया था। उसके बाद बापट चौक परिसर स्थित आशा लॉज की दो मंजिला इमारत पूरी तरह से जर्जर रहते हुए भी मनपा अभी तक इन जर्जर मकानों के मालिकों को केवल नाेटिस बजाने का कर्तव्य निभाती रही। लेकिन रविवार काे घटित गंभीर हादसे से पहले मनपा शहर के सभी जर्जर मकानों पर कार्रवाई के मसले में एमएमसी एक्ट का उल्लंघन करते आई है। रविवार को घटित घटना के तह तक जाने पर इस मामले में भी मनपा के पद निर्देशित अधिकारी की अनदेखी सामने आती है। विधि सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र मनपा अधिनियम (एमएमसी एक्ट) की कलम 63(22) के तहत जर्जर व धोकादायक इमारत को गिराने का कर्तव्य मनपा के अधिकािरयों का होता है। इसी एक्ट की धारा 72 (क) के तहत सी-1 कैटेगिरी में आनेवाले मकान के मालिक को मकान को नोटिस देने और गिराने की कार्रवाई 1 से 7 दिन के भीतर तत्काल स्वरुप मंे कर उस मामले का निपटारा करना चाहिए। न करने पर पद निर्देशित अधिकारी को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है।
एमएमसी एक्ट की कलम 268 के तहत जर्जर मकान का मालिक अगर नोटिस के बाद भी मकान खाली न करें तो मनपा का कर्तव्य है कि पुलिस की मदद से वह मकान खाली करवाए। कलम 397 (अ) (1) के अंतर्गत मनपा का पदनिर्देशित अधिकारी द्वारा नोटिस देने के बाद भी जर्जर मकान का मालिक अथवा किरायेदार वह जगह खाली न करें, तो उससे प्रति माह 1 हजार रुपए जुर्माना वसूलने का अधिकार मनपा को है। लेकिन मनपा ने शहर के किसी भी जर्जर मकान के मालिक से अभी तक जुर्माना नहीं वसूला और विशेष यह कि एमएमसी एक्ट की कलम 397(अ)(2) में अगर पदनिर्देशित अधिकारी जर्जर मकान के मालिक अथवा किरायेदार पर कार्रवाई नहीं करता है तो उस अधिकारी को 3 माह की सजा और 20 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। मनपा की रिपोर्ट के अनुसार ही शहर में वर्तमान स्थिति में सी कैटेगिरी की 32 इमारते है। जिन्हें मनपा बार-बार नोटिस दे चुकी है। एमएमसी एक्ट पर रविवार को घटित हादसे की जांच कर रही संभागीय आयुक्त के नेतृत्ववाली टीम गौर करें तो रविवार को घटित घटना में मनपा के अधिकारी पर कार्रवाई की तलवार लटकने की संभावना नकारी नहीं जा सकती।
Created On :   1 Nov 2022 2:29 PM IST