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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथिः जानिए, कैसे बारहा गांव की बापू की वजह से बदल गई किस्मत
डिजिटल डेस्क (भोपाल)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा और खादी के जरिए स्वरोजगार का सपना संजोया था और उसे नई रोशनी मिली है जैन मुनि आचार्य विद्यासागर के प्रयासों से। इसका उदाहरण बना है मध्यप्रदेश के सागर जिले का बीना बारहा गांव, जिसकी पहचान ही हथकरघा बन गया है। यहां बनने वाले कपड़े का ब्रांड नाम है श्रमदान। हम बात कर रहे हैं सागर जिले के बीना कस्बे के करीब स्थित बीना बारहा गांव की। इस गांव में लगभग पांच साल पहले हथकरघा केंद्र की नींव रखी गई थी और इसमें बड़ा योगदान जैन मुनि विद्यासागर का था। यहां पंडित भुरामल सामाजिक सहकार संस्था ने हथकरघा केंद्र शुरू किया। जब यह केंद्र शुरू हुआ था तब यहां 10 हथकरघा और 20 चरखे हुआ करते थे । यहां युवाओं को प्रशिक्षण देने की शुरूआत की गई, ताकि वे स्वरोजगार शुरू कर सकें। अब स्थिति यह है कि इस केंद्र के अंतर्गत 120 हथकरघा संचालित हैं और यहां काम करने वाले हर रोज 700 रुपए तक कमा लेता है।
बीना बारहा के हथकरघा केंद्र के परिसर में 60 हथकरघा है। वहीं, 60 हथकरघा आसपास के गांव के लोगों केा उपलब्ध कराए गए है। यह लोग अपने घरों में ही कपड़े का निर्माण करते है। इस केंद्र की सफलता को सिर्फ इसी से समझा जा सकता है कि इसके अब तक 14 केंद्र शुरू किए जा चुके हैं। इस संस्था के छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी केंद्र शुरू किए गए हैं। स्वरोजगार के केंद्र के तौर पर इन केद्रों की पहचान बन रही है।
इस हथकरघा केंद्र के ब्रह्मचारी अनमोल का कहना है कि यहां तैयार किए जाने कपड़ों को ब्रांड नाम श्रमदान भी आचार्य विद्यासागर महाराज द्वारा ही दिया गया था। यह नाम दिए जाने के पीछे मंशा यह है कि स्वरोजगार के लिए श्रम का दान है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि मानव श्रम पोषित हो और स्वदेशी की प्रेरणा मिले ।
बताया गया है कि इस संस्था के माध्यम से संचालित हथकरघा केंद्रों में रंगीन और प्रिंटेड खादी भी तैयार की जाती है। यहां सलवार सूट, शर्ट कुर्ता भी बनाए जाते हैं। इनकी बिक्री के लिए भोपाल, अशोकनगर, खजुराहो, कुंडलपुर, और बीना में शोरूम खोले गए हैं। यहां के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री भी की जाती है।
इस हथकरघा केंद्र में काम करने वाले लखन प्रजापति स्नातक की पढाई भी कर रहे है और कपड़ा भी बनाते है। उनका कहना है कि जब केंद्र शुरू हुआ था तो उन्होंने प्रशिक्षण लिया और वर्ष 2017 से कपड़ा बनाने लगे, अब प्रतिदिन 500 रुपये से ज्यादा कमा लेते है। उनके पिता मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते है। इस तरह घर में रहते हुए उनकी पढ़ाई चल रही है तेा दूसरी ओर कपड़ा बनाने का काम करके रोजगार भी हासिल कर रहे है।
बताया गया है कि इस संस्था द्वारा स्थापित किए गए केंद्रों से लगभग 1100 लोग जुड़े हुए है, जिन्हें रोजगार के अवसर मिल रहे है, इनमें 800 पुरुष और 300 महिलाएं है और इन केंद्रों के माध्यम से हर साल लगभग सात करोड़ का उत्पादन होता है।
बापू के योगदान को यह देश कभी भुला न सकेगा: शिवराज
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि "बापू कहते थे कि धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है और उन्होंने इस मंत्र को अपने जीवन में अक्षरश: उतारा भी। उनके क्षमा भाव, दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि देश उनके पीछे चला और अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। बापू के योगदान को यह देश कभी भुला न सकेगा"।
गांधी जी का सत्याग्रह आज पूरे भारत की ताकत है: प्रियंका गांधी
गांधीजी ने कहा था जनता की राय की अवहेलना करने वाला शासक क्रूर होता है व कोई भी अन्यायपूर्ण कानून अपने आप में हिंसा का एक रूप है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 30, 2021
गांधीजी की हत्या उनके विचारों की हत्या के उद्देश्य से भी की गई थी।
लेकिन गांधी जी का सत्याग्रह आज पूरे भारत की ताकत है व हमारा दायित्व भी।#Martyrs pic.twitter.com/qVsFymvAL5
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, गांधीजी ने कहा था जनता की राय की अवहेलना करने वाला शासक क्रूर होता है व कोई भी अन्यायपूर्ण कानून अपने आप में हिंसा का एक रूप है। गांधीजी की हत्या उनके विचारों की हत्या के उद्देश्य से भी की गई थी। लेकिन गांधी जी का सत्याग्रह आज पूरे भारत की ताकत है व हमारा दायित्व भी।
आज गांधी की हत्या को 73 साल पूरे हो गए हैं। साल 1948 में 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे नामक शख्स- जो हिंदुत्ववादी राजनीति का अनुयायी था- ने उन पर गोलियां चलाई थीं, जब वह प्रार्थना के लिए जा रहे थे।
Created On :   30 Jan 2021 10:12 AM GMT