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महंत नरेंद्र गिरि का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दी गई भू-समाधि, उत्तराधिकारी बलबीर गिरि ने की अंतिम क्रिया
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डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। गंगा स्नान के बाद वैदिक मंत्रोच्चारणों के साथ सभी पंरपराओं और रीति-रिवाजों को पूरा करते हुए महंत नरेंद्र गिरि को बाघंमरी मठ में भू-समाधि दे दी गई है। इसके साथ ही महंत ब्रह्म में लीन हो गए हैं। अंतिम प्रक्रिया को नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर ने संपन्न करवाई। नरेंद्र गिरि को समाधि नींबू के पेड़ के समीप दी गई है। खुद नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में इस जगह पर समाधि देने की अंतिम इच्छा जताई थी। मन्त्रोच्चार और उद्घोष किया गया। फूल के साथ मिट्टी डाली गए। इस दौरान 13 अखाड़े के साधु-संत मौजूद हैं।
समाधि से पूर्व महंत की पार्थिव देह को शहर में भ्रमण कराया गया। इसके बाद देह को लेटे हुनमान मंदिर ले जाया गया। इसी मंदिर के नरेंद्र गिरी महंत थे। रोज एक बार मठ से मंदिर दर्शन के लिए जाते थे। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर का स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में 5 डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सीएम को बंद लिफाफे में भेजी जाएगी।
बता दें कि सनातन धर्म में देहांत के बाद दाह संस्कार किया जाता है जबकि बच्चे को दफनाया जाता है और साधुओं को समाधि दी जाती है। इसके पीछे भी कई तर्क हैं। माना जाता है कि साधु और बच्चों का तन और मन निर्मल रहता है। साधु और बच्चों में आसक्ति नहीं होती है। शास्त्रों के अनुसार पांच वर्ष के लड़के और सात वर्ष की लड़की का दाह संस्कार नहीं होता है। उन्हें जमीन के अंदर शवासन की अवस्था में दफनाया जाता है। भू-समाधि में पद्मासन या सिद्धिसन की मुद्रा में बिठाकर जमीन में दफना दिया जाता है। महंत नरेंद्र गिरि को भी इसी तरह से भू-समाधि दी जा रही है। शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परंपरा के साधु-संतों को भू-समाधि देते हैं। गिरि शैव पंथ के दसनामी संप्रदाय से संबंध रखते हैं। अक्सर गुरु की समाधि के बगल में ही शिष्य को भू-समाधि दी जाती है। नरेंद्र गिरि को भी प्रयागराज में उनके मठ के अंदर अपने गुरु की समाधि के बगल में भू-समाधि दी जा रही है। समाधि मठ में या किसी खास जगह पर दी जाती है।
Created On :   22 Sept 2021 8:59 AM IST