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वन्नियार समुदाय के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण कानून को बताया असंवैधानिक
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। मदुरै में मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सोमवार को वन्नियार समुदाय के लिए 10.5 प्रतिशत आंतरिक आरक्षण प्रदान करने वाले कानून को असंवैधानिक करार दिया और यह भी पूछा कि क्या जाति के आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। वन्नियारों के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण का कानून पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा पारित किया गया था और वर्तमान द्रमुक सरकार द्वारा इसे लागू किया गया है। वन्नियारों के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण के भीतर किया गया था।
हालांकि, वन्नियारों के 10.5 फीसदी आरक्षण के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, एमबीसी के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण में से वन्नियार के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण एमबीसी और डीनोटिफाइड कम्युनिटीज (डीएनसी) के तहत कई समुदायों की संभावनाओं को प्रभावित करेगा। 10.5 प्रतिशत आरक्षण के आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि क्या इस तरह का आरक्षण उचित जातिवार जनसंख्या डेटा के बिना किया जा सकता है। अदालत के आदेश को चौंकाने वाला बताते हुए पीएमके के संस्थापक एस. रामदास ने कहा कि काफी संघर्ष के बाद आरक्षण मिला है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों और अरुंथथियारों के लिए आंतरिक आरक्षण पर कुछ नहीं कहा है और इस तरह से वन्नियारों के लिए इसे खत्म करना अस्वीकार्य है। रामदास ने कहा कि अदालत के आदेश के खिलाफ तुरंत अपील की जानी चाहिए, क्योंकि कई छात्र ऐसे हैं, जिन्हें आरक्षण के आधार पर प्रवेश मिला और कई अन्य नौकरियां मिलीं हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   1 Nov 2021 12:00 PM GMT