मध्यप्रदेश टाईगर, तेंदुआ और गिद्धों की संख्या में सबसे आगे घड़ियालों की संख्या में नम्बर वन बनने की दहलीज पर "लेख"!

Madhya Pradesh tiger, leopard and vulture lead the number of crocodiles number one on the threshold of article!
मध्यप्रदेश टाईगर, तेंदुआ और गिद्धों की संख्या में सबसे आगे घड़ियालों की संख्या में नम्बर वन बनने की दहलीज पर "लेख"!
मध्यप्रदेश टाईगर, तेंदुआ और गिद्धों की संख्या में सबसे आगे घड़ियालों की संख्या में नम्बर वन बनने की दहलीज पर "लेख"!

डिजिटल डेस्क | खरगौन मध्यप्रदेश वन एवं वन्य-प्राणियों की विविधता के लिए जाना जाता है। भारत के किसी भी प्रदेश की तुलना में मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बाघ हैं। प्रदेश में बाघ की कुल संख्या 526 पहुँचने से इसे ष्टाईगर स्टेटष् का दर्जा प्राप्त है।अगले साल फिर से बाघों और तेन्दुओं की गणना होगी। प्रदेश के जंगलों से बाघों की बढ़ोत्तरी के अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। बाघों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी से यह भरोसा हो चला है कि मध्यप्रदेश देश में टाईगर स्टेट के रूप में अपना रूतबा कायम रखेगा। बाघों के लिए प्रदेश के जंगल मुफीद माने जाते हैं। संरक्षित क्षेत्र नेशनल पार्क टाईगर रिजर्व में सुरक्षा के पूरे इंतजाम की वजह से भी बाघ तेजी से बढ़ रहे हैं।

टाईगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अति विशिष्ट योगदान देने वाली पेंच टाईगर रिजर्व की बाघिन ष्कॉलर कलीष् के नाम विश्व में सर्वाधिक संख्या में प्रसव और शावकों के जन्म का अनूठा कीर्तिमान है। मध्यप्रदेश में 3 हजार 431 तेन्दुए होने का आंकलन है, जो किसी भी राज्य से अधिक होने के साथ ही भारत में उपलब्ध तेन्दुओं की संख्या का 25 फीसदी है। प्रदेश में तेन्दुए की आबादी में 80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि देश में 60 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। प्रत्येक चार साल में भारत सरकार के वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बाघ और तेन्दुओं की गणना कराई जाती है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, देहरादून द्वारा मॉनीटरिंग की जाती है। इस आधार पर बाघ और तेन्दुओं की संख्या तय की जाती है।

गिद्ध और घडियालों की संख्या में भी अव्वल इस वर्ष किए गए आंकलन के मुताबिक प्रदेश में तकरीबन 9 हजार 446 गिद्ध पाए गए हैं। पिछले दो साल में गिद्ध की संख्या में एक हजार 49 का इजाफा हुआ है। गिद्धों की संख्या के मामले में प्रदेश पहले स्थान पर काबिज है। इसी तरह घड़ियालों की गणना का कार्य भी चल रहा है। प्रदेश के घड़ियाल अभयारण्यों और अन्य जल-क्षेत्रों में 1800 घड़ियाल चिन्हित किए जा चुके हैं। घड़ियाल संख्या के मामले में भी मध्यप्रदेश के पहले स्थान पर आने की प्रबल संभावना है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अफ्रीकी चीते को देश में उपयुक्त संरक्षित क्षेत्र में स्थापित करने की अनुमति दी गई है। भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून ने प्रदेश के कूनो और गांधी सागर अभयारण्य को चीते के रहवास के लिए के लिए मुफीद माना है। इस दिशा में कार्यवाही प्रचलन में है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 नवम्बर 2020 को बाँधवगढ़ में पर्यटन की केबिनेट में पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने के निर्णय पर मुहर लगाई थी। ठीक एक माह में दिसम्बर की 25 तारीख को बाँधव राष्ट्रीय उद्यान में ष्हाट एअर बैलून सफारीष् का शुभारंभ हो गया। यहाँ पर्यटक जमीन से एक हजार फीट ऊपर से जंगल की खूबसूरती एवं बाघ, तेंदुआ आदि वन्य-प्राणियों को विचरण करते निहारेंगे। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में ष्नाइट सफारीष् भी एक महीने के अन्दर शुरू हो गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वन विहार में भ्रमण के दौरान नाइट सफारी शुरू करने के निर्देश दिए थे।

नाइट सफारी का शुभारंभ भी एक महीने में ही किया जाकर पर्यटकों को नई सौगात प्रदान करा दी है। पर्यटकों की सुविधाओं का विस्तार एक माह के भीतर किया जाना यह सिद्ध करता है कि मुख्यमंत्री प्रदेश के चहुँमुखी विकास और पर्यटकों की सुविधाओं के विस्तार के लिए अपने संकल्पों को तेजी से अंजाम दे रहे हैं। अन्य राष्ट्रीय उद्यानों के बफर क्षेत्र में भी नाइट सफारी, तारामण्डल अवलोकन, रात्रि में भ्रमण से वन्य-प्राणियों का अवलोकन, दिन में वाहन सफारी, कैंपिंग, पैदल ट्रेकिंग, साइकिलिंग आदि गतिविधियाँ प्रारंभ की गई हैं। कान्हा, पेंच एवं सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में भी टाईगर सफारी योजना को मूर्तरूप देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

पर्यटकों के लिए कान्हा, बाँधवगढ़, पन्ना, सतपुड़ा और पेंच टाईगर रिजर्व में ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी प्रारंभ की गई है। टाईगर रिजर्व में पर्यटन के लिए खुला क्षेत्र 20 प्रतिशत की सीमा तक और टाईगर रिजर्वों के कोर क्षेत्रों में पर्यटन के लिए पर्यटक वाहन धारण क्षमता निर्धारित है। ईको पर्यटन विकास ईको पर्यटन विकास के माध्यम से वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। ईको पर्यटन गंतव्य स्थलों के विकास के लिए 131 स्थल अधिसूचित किए जा चुके हैं। इनमें से कुछ क्षेत्रों को संचालन और प्रबंधन के लिए निजी क्षेत्रों को दिये जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है।

Created On :   31 March 2021 1:45 PM IST

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