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अमरावती जिले की 355 शालाओं में लग सकते हैं ताले
डिजिटल डेस्क, अमरावती। दो दिन पहले राज्य सरकार ने 20 से कम पटसंख्यावाली शालाओं की जानकारी शालेय शिक्षा विभाग से मांगी है। जिससे जिले के शिक्षा जगत में जबरदस्त सनसनी मची है। यह शालाएं अगर सरकार ने बंद कर दी तो यहां पढ़नेवाले विद्यार्थियों और वहां कार्यरत शिक्षकों का समायोजन सरकार कैसे करेंगी। इस तरह के अनेकों प्रश्न शिक्षकों मेें उठाए जा रहे हंै। राज्य के शालेय शिक्षा मंत्री दीपक कैसरकर ने 11 अक्टूबर को राज्य के सभी शिक्षा विभाग को 0 से 20 पटसंख्यावाले शालाओं की जानकारी मांगी। जिससे शिक्षा क्षेत्र में यह सभी शालाएं आनेवाले दिनों में सरकार बंद करेगी। इस तरह के संकेत मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार हो गरीब और खेेत मजदूरों के बच्चे शिक्षा से वंचित न हो इस उद्देश्य से वर्ष 2009 में सरकार ने शिक्षा अधिकार कानून को अमल में लाया था। इस कानून के तहत सभी बच्चों को शिक्षा के प्रवाह में लाने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए थे। शिक्षा अधिकार कानून के तहत गांव से 1 किमी की दूरी में प्राथमिक और 3 किमी के अंतराल में माध्यमिक शाला उपलब्ध कर देने की जिम्मेदारी सरकार की है। वर्तमान स्थिति में शासकीय स्कूलों का दर्जा गिरते जा रहा है। इस कारण शहर से लेकर तो ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लड़के जिला परिषद की शालाओं में जाने की बजाए निजी स्कूलों में दाखिला लेना पसंद करते है। इस स्थिति में अमरावती जिले में 355 शालाएं ऐसी हैं जहां की पटसंख्या 20 विद्यार्थियों से कम रहने से इन शालाओं को ताले लगने की आशंका के चलते शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। एक स्कूल पर शिक्षक व सहायक शिक्षक इस तरह दो कर्मचारी वर्तमान मेंं कार्यरत रहने के कारण अगर यह शालाएं बंद की गई तो सरकार को जिले के 710 शिक्षकों का समायोजन करना होगा और यह करना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी।
Created On :   14 Oct 2022 3:40 PM IST