कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए

Kolkata High Court orders CBI inquiry into the post-poll violence in Bengal
कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए
पश्चिम बंगाल कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए
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  • कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए कोलकात्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को चुनाव के बाद हुई हिंसा में दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) को सौंप दी है। अन्य कम गंभीर अपराधों की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया।

अदालत ने राज्य सरकार को चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजे की तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिश को स्वीकार करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आई.पी. मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने निर्देश दिया कि बंगाल में अप्रैल-मई चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई द्वारा गठित एक विशेष टीम द्वारा की जाएगी।

सीबीआई दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच करेगी। सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अलग डिवीजन बेंच का गठन किया गया है। इसी तरह, चुनाव के बाद हुए अपेक्षाकृत कम घातक अपराधों की जांच के लिए खंडपीठ ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया।

कोलकाता के पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणवीर कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी एसआईटी का हिस्सा होंगे। एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी। सीबीआई और एसआईटी दोनों को छह हफ्ते बाद अपनी शुरूआती रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी।

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य को चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों के मुआवजे की तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोपों को भी खारिज कर दिया। चुनाव के बाद हुई हिंसा ने राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किया था क्योंकि भाजपा ने तृणमूल पर पार्टी कार्यकर्ताओं को मारने, महिला सदस्यों पर हमला करने, घरों में तोड़फोड़ करने और दुकानों और कार्यालयों को लूटने के का आरोप लगाया था।

बंगाल सरकार ने यह कहते हुए पलटवार किया था कि हिंसा की खबरों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था, जिसमें फर्जी वीडियो और छवियों को गलत तरीके से प्रसारित किया गया था। 4 मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और डीआईजी (जांच) से आयोग के जांच प्रभाग के अधिकारियों की एक टीम गठित करने का अनुरोध किया था ताकि तथ्य का पता लगाया जा सके।

18 जुलाई को, उच्च न्यायालय ने एनएचआरसी को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, जो पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान कथित रूप से विस्थापित हुए लोगों द्वारा दायर शिकायतों की जांच करेगी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने एंटली निर्वाचन क्षेत्र से विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास के समन्वय के लिए एनएचआरसी, एसएचआरसी और एसएलएसए द्वारा नामित सदस्यों की एक समिति भी गठित की थी। अपनी विवादास्पद रिपोर्ट में, एनएचआरसी ने हिंसा की कथित घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार की खिंचाई की और उन पर भयावह उदासीनता का आरोप लगाया था।

 

IANS

Created On :   19 Aug 2021 1:30 PM IST

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