केवल जनजातीय लोग ही होते हैं इसमें शामिल, जानिए क्या है सी-60 कमांडो फोर्स

know what is the C-60 Commando Force, only tribals can join it
केवल जनजातीय लोग ही होते हैं इसमें शामिल, जानिए क्या है सी-60 कमांडो फोर्स
केवल जनजातीय लोग ही होते हैं इसमें शामिल, जानिए क्या है सी-60 कमांडो फोर्स

डिजिटल डेस्क, गडचिरोली। महाराष्ट्र दिवस पर गडचिरोली जिले में हुए भयानक नक्सली हमले में 15 जवान शहीद हो गए हैं। खबरों के अनुसार शहीदों में सी-60 कमांडो फोर्स के भी जवान शामिल थे। एक साल पहले बड़ी नक्सल विरोधी कार्रवाई को अंजाम देते हुए 39 नक्सलियों का खात्मा कर सुर्खियों में आए सी-60 कमांडो आखिर कौन होते हैं। बताया जाता है कि सी-60 कमांडो फोर्स के जवान एकमात्र ऐसी फोर्स है, जिनको जंगल में युद्ध स्थिति के मद्देनजर जिला स्तर पर गठित किया गया है। बता दें कि जंगल के हर एक कोने से वाकिफ रहने के कारण इस फोर्स में ज्यादातर जनजातीय लोगों को ही भर्ती किया जाता है। शुरूआत में 60 लोगों से मिलकर बनी इस फोर्स में फिलहाल 100 जवान हैं, लेकिन आज भी इन्हें सी-60 फोर्स ही कहा जाता है।

हथियार से लेकर खान-पान सभी कुछ होता है खास
खासतौर पर जंगल युद्ध के लिए तैयार किए गए सी-60 कमांडोस फ़ोर्स का जन्म 1990 महाराष्ट्र में हुआ था। गठन के समय गडचिरोली के ही 60 जवानों की एक बेंच तैयार की गई थी। यह बेंच उसी इलाके में रहने वाले, भाषा और संस्कृति से परिचित लोगों से मिलकर बनी थी। 

सी-60 जवानों के बारे में एक और खास बात है कि यह जवान कई घंटों तक बिना खाए पिए भी रह सकते हैं। सी-60 जवानों के इस प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है कि वे लंबी दूरियां भी कुछ खाए-पिए बगैर तय कर सकते हैं। फॉरेस्ट वार के लिए प्रमुख तौर पर तैयार किए गए यह कमांडोस हैदराबाद के ग्रे-हाऊंड्स, मानेसर के एनएसजी और पूर्वांचल के आर्मी के जंगल वॉरफेयर स्कूल से प्रशिक्षित हैं। सी-60 फोर्स के जवानों को जो हथियार दिए जाते हैं, वह भी एकदम अलग और खास तरह के होते हैं। 

Created On :   1 May 2019 7:38 PM IST

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