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कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने 91 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, घाटी में इंटरनेट सर्विस बंद
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने बुधवार देर रात अंतिम सांस ली। 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। गुरुवार सुबह 5 बजे ही कश्मीर के हैदरपोरा में उनको सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। गिलानी करीब 20 साल से ज्यादा लंबे वक्त से गुर्दे से जुड़ी बीमारी से पीड़ित थे। गिलानी के परिवार में उनके दो बेटे और 6 बेटियां हैं। उन्होंने 1968 में अपनी पहली बेगम की मौत के बाद दूसरा निकाह किया था।
गिलानी के निधन पर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर लिखा, गिलानी साहब के इंतकाल की खबर से दुखी हूं। हमारे बीच ज्यादा मुद्दों पर एकराय नहीं थी, लेकिन उनकी त्वरित सोच और अपने भरोसे पर टिके रहने को लेकर उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करती हूं।
राजनीतिक सफर
सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे। हमेशा कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग करते रहे। वे कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। 29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का उदारवादी चेहरा माना जाता था। गिलानी ने कॉलेज की पढ़ाई लाहौर से की थी। उस समय लाहौर भारत का हिस्सा था। वे कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से 3 बार विधायक भी रहे थे। गिलानी पर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जांच की थी। गिलानी के निधन के बाद हालातों पर भी सुरक्षाबलों की नजर है। इसे देखते हुए कश्मीर घाटी में कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। इसमें घाटी में इंटरनेट सेवा बंद होना भी शामिल है। ऐसा किसी भी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने के लिए किया गया है।
Created On :   2 Sept 2021 8:36 AM IST