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सिर्फ बच्चे की गवाही के आधार पर नहीं दे सकते फैसला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक हत्या के मामले में फैसला सुनाते वक्त बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कहा है कि ऐसे मामलों में सिर्फ किसी बच्चे की गवाही आरोपी को सजा देने का आधार नहीं हो सकती। आरोपी को सजा सुनाने से पूर्व कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे की गवाही प्रासंगिक है और उसकी बातें दिए गए सबूतों और परिस्थितियों से मेल खाती हों। नागपुर खंडपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय और अन्य हाईकोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख भी किया, जिसमें यह माना गया कि बच्चों की गवाही में कई प्रकार की खामियां हो सकती हैं। कई बार वे सपने और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाते, उनकी गवाही रटाई या पढ़ाई हुई भी हो सकती है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने गड़चिरोली निवासी अशोक वाड्डे को उसकी पत्नी की हत्या के आरोप से बरी किया। हाईकोर्ट ने आरोपी की उम्रकैद की सजा को खारिज कर दिया।
यह था मामला
पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार इस दंपति का विवाह करीब 9 वर्ष पूर्व हुआ था। उनका एक 5 वर्षीय बेटा है। पति को शराब की लत थी और वह पत्नी के चरित्र पर शक करता था। 4 अप्रैल 2015 की आधी रात को बबिता का शव घर के पास पाया गया था। गले पर कुल्हाड़ी के वार के निशान थे। इस मामले में पुलिस ने पति पर हत्या का मामला दर्ज किया था। गड़चिरोली सत्र न्यायालय ने आरोपी को उम्रकैद और 2 हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस मामले में दंपति का 5 वर्षीय बेटा चश्मदीद गवाह था। लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि इतना छोटा बच्चा मामले में स्पष्ट स्थिति नहीं बता सका। उसके बयान और जवाबों में कुछ खामियां थीं। बच्चे की गवाही के अलावा सरकारी पक्ष ऐसे ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर सका, जिनके आधार पर यह सिद्ध हो कि आरोपी ने ही अपनी पत्नी की हत्या की है। एेसे में हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला खारिज कर दिया।
Created On :   9 Sept 2021 1:34 PM IST