धड़कन बंद थी, ऑपरेशन से ब्लड बदलकर बचाई दो दिन के बच्चे की जान

Infant declared dead start breathing again by blood transfusion
धड़कन बंद थी, ऑपरेशन से ब्लड बदलकर बचाई दो दिन के बच्चे की जान
धड़कन बंद थी, ऑपरेशन से ब्लड बदलकर बचाई दो दिन के बच्चे की जान

डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू में एक ऐसे नवजात को नया जीवन मिला, जिसकी अस्पताल पहुंचने के पहले ही सांसे थम चुकीं थीं तथा दिल की धड़कनें बंद हो चुकी थीं। मात्र 48 घंटे की उम्र वाले इस बच्चे को औसत से बहुत अधिक 26 ग्राम पीलिया था, जिसकी सांसे थम गई थीं, लेकिन चिकित्सकों ने प्रयास करके मुश्किल ऑपरेशन कर बच्चे के शरीर से पीलिया युक्त पूरा ब्लड निकालकर नया ब्लड चढ़ाया। नवजात के माता-पिता के लिए राहत भरी बात यह रही कि उनके दो बच्चों की मौत इसी प्रकार से तीसरे दिन ही हो चुकी थी। समय रहते अस्पताल पहुंच जाने के कारण तीसरे बच्चे का नया जीवन मिल गया।

ढाई घंटे में बदला ब्लड
बच्चे की जान बचाने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील हथगेल ने बताया कि जिन हालातों में बच्चे को अस्पताल लाया गया था वह मृत प्राय ही था। उसको श्वसन क्रिया एसीपीआर करके पहले पुनर्जीवन दिया गया। उसके बाद पीलिया की वजह से पूरे शरीर के खून बदलने का ऑपरेशन किया गया। रात 8 बजे से 11 बजे तक नया ब्लड बच्चे के शरीर में प्लांट किया गया। जो उसकी जीवन बचाने का एक मात्र तरीका था। इसके अलावा उसे ऑक्सीजन एवं सभी जीवन रक्षक दवाएं दी गई। इसी प्रकार ग्राम पंचगांव निवासी निर्मल प्रजापति व दिलीप के 48 घंटे के नवजात को यहां लाया गया था, जिसका पीलिया लेबल 29 था, जो सामान्य से कई गुना अधिक था। उसका भी ब्लड बदलकर नया जीवन दिया गया। दोनों बच्चों की जान बचाने में एसएनसीयू के स्टॉफ सहित ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. सुधा नामदेव का योगदान रहा जिन्होंने समय रहते ब्लड उपलब्ध कराने में मदद की।

मृत हो चुके हैं दो बच्चे
अपने बच्चे को नया जीवन मिलने की खुशी जाहिर करते हुए ग्राम विक्रमपुर निवासी अगसिया बाई व पिता चितरू बैगा ने बताया कि इसके पहले उनके दो बच्चे हुए, लेकिन तीन दिन बाद ही मृत हो जाते थे। इस बार भी हालत बिगडऩे पर इस आशा के साथ यहां पहुंचे थे कि शायद जान बच जाए। हुआ भी ऐसा, डॉक्टरों व स्टॉफ ने बच्चे को नया जीवन दिया।

बेमेल ब्लड ग्रुप मुख्य वजह
डॉ. हथगेल के अनुसार मां व बच्चे के बेमेल ब्लड ग्रुप इस प्रकार के मामलों की वजह बनते हैं। अगसिया बाई का निगेटिव व बच्चे का पाजिटिव रहा, जिससे पीलिया बढ़ गया। प्रसव के पूर्व ग्रुप का पता चल जाने के बाद इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है। इस तरह के बच्चे का बचना मुश्किल होता है और अगर पीलिया दिमाग में चल जाता है तो जीवन भर के लिए शारीरिक एवं मानसिक अपंगता हो सकती है। बच्चे को करनिकटेरस बीमारी हो जाती है।

Created On :   14 May 2019 1:45 PM IST

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