राजधानी के वृद्धाश्रमों में कोरोना की दोनों लहरों में एक भी बुजूर्ग नहीं हुए संक्रमित, तीसरी लहर से बचाव के तौर-तरीके इनसे सीखें

In the old age homes of the capital, not a single elderly person got infected in both the waves of corona
राजधानी के वृद्धाश्रमों में कोरोना की दोनों लहरों में एक भी बुजूर्ग नहीं हुए संक्रमित, तीसरी लहर से बचाव के तौर-तरीके इनसे सीखें
तीसरी लहर राजधानी के वृद्धाश्रमों में कोरोना की दोनों लहरों में एक भी बुजूर्ग नहीं हुए संक्रमित, तीसरी लहर से बचाव के तौर-तरीके इनसे सीखें

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका ने आम लोगों को बैचेन कर दिया। मप्र में कोविड संक्रमण के प्रकरण सामने आने लगे हैं। वहीं, राजधानी भोपाल के आनंदधाम, आसरा ओर अपना घर वृद्दाआश्रम ऐसे हैं, जहां कोरोना की दोनों लहरों में एक भी प्रकरण सामने नहीं आया है। कोरोना की दोनों लहरों में जब बुजूर्गों को सबसे ज्यादा खतरा था, तब इन तीनों वृद्दाआश्रमों में किसी को कोई हानि नहीं हुई। इसका मुख्य कारण यहां अपनाए गए कोविड प्रोटोकॉल है। तीसरी लहर से बचने के लिए हमें इन आश्रमों में निवास करने वाले बुजूर्गों से सीखना चाहिए ताकि संक्रमण बढ़ें ही नहीं।
कोरोना की दोनों लहरों में जन जीवन खासा प्रभावित हुआ है, लेकिन तीनों आश्रमों में रहने वाले 122 सदस्यों को संक्रमण छू भी नहीं पाया। आश्रमों में बरती गई सावधानियां और यहां अपनाई गई दिनचर्या के कारण सब स्वस्थ्य है। इन आश्रमों में 60 वर्ष से 91 वर्ष की आयु तक के वृद्ध रह रहे हैं, लेकिन यहां बरती गई सतर्कता से कोई संक्रमित नहीं हुए। यह स्थिति तब की है, जब चारों तरफ कोरोना संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ था। यहां अपनाए गए तौर-तरीकों के कारण तीनों आश्रम आम लोगों और समाज के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं। यहां किसी को बुखार तक नहीं आया। यदि किसी को सर्दी-जुकाम की शिकायत हुई तो संबंधित को 14 दिन क्वरेंटाइन रखने के बाद एक महीने फिर अलग से ऑब्र्जवेशन में रखा गया ताकि संक्रमण की आशंका को भी दूर किया जा सके। 
तीनों आश्रमों में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया गया। यहां का स्टाफ भी सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने पर ही प्रवेश पा सकता था। वृद्ध भी आपस में एक दूसरे से दूरी बनाकर रहे। अब भी सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजिन का यहां अति विशेष ध्यान रखा जा रहा है। तीनों आश्रमों का संचालन समाजसेवियों के दान से हो रहा है, लेकिन दानदाता को भी यहां प्रवेश नहीं दिया गया। उनसे सामग्री ही दानस्वरुप ली गई, लिहाजा यहां सब सुरक्षित है। आश्रमों में प्राथमिकता के तौर पर सभी बुजुर्गों को टीकाकरण करवा दिया। सभी को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके है। अब आश्रम प्रबंधन की वैक्सीनेशन से आधी चिंता दूर हो गई।  
आनंद धाम के सचिव आरआर सुरंगे ने बताया कि ये वे वृद्ध है जो अपनों से त्यागे हुए हैं। उनके आने की आस में जीवन जी रहे हैं। इनमें से कुछ ने तो अपने परिजनों की आने की आस भी छोड़ दी है। इन्हें खुश रखने के लिए योग से दिन की शुरूआत की जाती है। समय पर नाश्ता, भोजन-पानी का ख्याल रखा जाता है। रोजाना हेल्थ चेकअप होता है और सामान्य बीमारी से ग्रसित वृद्धों को चार्ट के अनुसार दवा दी जाती है।
कई कार्यक्रम होते हैं आयोजित 
आनंद धाम के मैनेजर अरूण कुमार ने बताया कि समाज के सहयोग से कई कार्यक्रम चलाये जाते है। जैसे जरूरतमंदों लोगों की मदद करना, कई गरीब बस्तियों में संस्था के डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर चेकअप करना, दवाईयां उपलब्ध करवाना। उन्होंने बताया कि कोविड गाईडलाइन के कारण और बुर्जुगों के स्वास्थ को ध्यान रखते हुए इन दिनों संस्थान में सामाजिक कार्यो पर प्रतिबंद्ध लगा दिया है। मुक्ति वाहन सेवा, सेवा बस्तियों में ऑक्सीजन लेवल जांच, रक्तदान शिविर का आयोजन, आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग, विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा ऑनलाइन परामर्श, मोतियाबिंद की जांच एवं निशुल्क आपरेशन, सेवा बस्तियों में गोद भराई कार्यक्रम, सेवा बस्तियों में पुराने उपयोगी वस्त्र वितरण, न्यूनतम दरों पर पैथालॉजी जांच एवं दवाईयां उपलब्ध करना।
फैक्ट फाइल
आसरा वृद्धाश्रम में 
रिक्त सीट -25 
वर्तमान में रह रहे बुजुर्ग- 75
आनंद धाम
रिक्त सीट 23 
वर्तमान में रह रहे बुजुर्ग - 27
अपना घर वृद्धाश्रम
रिक्त सीट 5
वर्तमान में रह रहे बुजुर्ग - 20
ऐसे जीती जंग
- सोशल डिस्टेंसिंग
- ऑनलाइन मदद, दान, सामग्री देने वालों का प्रवेश वर्जित
- बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित
- स्टाफ भी बुजूर्गों से नियत दूरी रखकर मिलते थे। 
- नियमित हेल्थचेकप, खान-पान व योग-प्राणायाम

91 वर्षीय विजयवर्गीय
आनंद धाम में वयोवृद्ध श्याम सुंदर विजयवर्गीय 91 वर्ष के हैं और स्वस्थ्य हैं। विजयवर्गीय राज्य परिवहन निगम से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, उनके पुत्र की बीमारी के चलते उन्हें आनंद धाम में रहना पड़ रहा है। दरअसल उनके पुत्र कई बीमारियों से ग्रसित हैं, जिसकी वजह से अपने पिता की उचित देखभाल नहीं कर पा रहे थे, वे बताते हैं कि मैं यहां खुश हूं, घर से भी ज्यादा अच्छी देखभाल हो रही है। हर तरह की मेडिकल सुविधा भी समय पर उपलब्ध हो रही है। कोविड प्रोटोकॉल निभाने से संक्रमण से बचे हुए है।

Created On :   14 Aug 2021 12:23 PM IST

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