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वन क्षेत्र में बाघ व तेंदुए ने किया 3 साल में 1500 से ज्यादा शिकार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन क्षेत्र में मनुष्यों का और रिहायशी क्षेत्र में वन्यजीवों की घुसपैठ बढ़ रही है, जिसके कारण पालतू जानवर बलि चढ़ रहे हैं। नागपुर संभाग में पिछले तीन साल में डेढ़ हजार से ज्यादा मवेशियों का शिकार बाघ और तेंदुओं ने किया है। अधिकांश मवेशी तेंदुओं का निवाला बने हैं। बाघ और तेंदुओं ने हमला केवल मवेशियों पर ही नहीं, बल्कि इंसानों पर भी किया है।
नागपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाली, काटोल, हिंगना, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी, खापा आदि इलाके आते हैं। इन इलाकों में में तेंदुए ही नहीं, बल्कि बाघ भी मौजूद हैं। कई ऐसे वन क्षेत्र हैं, जिनके आस-पास गांव हैं। यहां के लोग शौच से लेकर लकड़ियां लाने के लिए जंगलों में जाते हैं। उनकी खेती भी जंगल से लगकर ही है। ऐसे में आए दिन मानव-वन्यजीव के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। जंगल कम होने से वन्यजीव इंसानी इलाकों में पहुंच रहे हैं, जिससे पालतू जानवरों का शिकार भी हो रहा है।
मवेशियों पर बढ़ रहे हमले
बाघ और तेंदुओं द्वारा मवेशियों पर हमलों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इसके कारण वन विभाग को संबंधित किसानों को करोड़ों रुपए हर्जाना भी देना पड़ा है। सन 2018 में 300 से ज्यादा मवेशियों का शिकार बाघ और तेंदुओं ने किया। सन 2019 में यह आंकड़ा बढ़ गया। 500 से अधिक मवेशियों को बाघ और तेंदुओं ने अपना निवाला बनाया है। सन 2020 से 2021 तक 800 से ज्यादा मवेशियों का शिकार हुआ है। हालांकि इसके बदले वन विभाग को हर साल करोड़ों रुपए हर्जाना देना पड़ रहा है, ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति यथावत बनी रहे।
Created On :   24 July 2021 5:15 PM IST