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हिंगणघाट तहसील के 23 रेत घाटों पर अवैध उत्खनन
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डिजिटल डेस्क, वर्धा । जिले में सबसे अधिक रेती घाट यह हिंगणघाट तहसील में हैं। हिंगणघाट तहसील के 23 रेत घाटों पर कई महीने से अवैध उत्खनन हो रहा है। मगर जिला प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। हिंगणघाट तहसील में 23 घाटों में से सिर्फ एक घाट पूर्व पार्षद अंकुश ठाकुर ने अपने रिश्तेदार को दिया है। बाकी वर्धा तहसील, हिंगणघाट तहसील, देवली तहसील के सैंकड़ों ट्रकों से रोजाना बगैर रायल्टी से रेत की ढुलाई की जा रही है। इन रेती घाटों से अवैध रेत उत्खनन होने से जिला प्रशासन का करोड़ो रुपए का राजस्व डूब रहा है। हिंगणघाट तहसील के चिकमोह रेत घाट 6 हजार 360 ब्रास का है।
ऑनलाइन नीलामी में चिकमोह घाट किसी ने नहीं लिया। इस रेती घाट से सब से अधिक अवैध रेत की ढुलाई की जा रही है। बोरगांव रेती घाट 2 हजार 827 ब्रास का है। इस घाट से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। हिंगणघाट तहसील के तांबा पारडी रेत घाट 7 हजार 67 ब्रास का है। चिंचोली रेत घाट 2 हजार 473 ब्रास का है। खारडी-भारडी रेत घाट की आड़ में दूसरे रेत घाट पर अवैध उत्खनन चालू है। खारडी-भारडी रेत घाट का ठेका अंकुश ठाकुर के अलावा अनेक पार्टनर है। इनका यह गोरखधंधा वर्ष के 8-9 माह चलता है। अधिकारियों को साथ में लेकर अवैध रेत का उत्खनन किया जाता है। दस चक्के के ट्रक से रेत की ढुलाई करने से गांवो के रास्ते खराब हो रहे हैं। जिले के अधिकांश रेत घाटो से निर्धारित पैमाने से अधिक मात्रा में रेत का उत्खनन किया जा रहा है। जिन रेत घाटों की नीलामी नहीं हुई है, उन रेत घाटों से भी धड़ल्ले से रेत का उत्खनन हो रहा है। जिस कारण नदियों में बडे़-बडे़ गड्ढे हो रहे हैं। जिले के खनिकर्म विभाग के साथ ही संबंधित क्षेत्रों के तहसीलदारों की ओर से अनदेखी हो रही है।
Created On :   7 May 2022 5:26 PM IST