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आदेश का ज्ञान न हो और उल्लंघन हो जाए, तो अवमानना नहीं कह सकते
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अदालत के आदेश का पालन करना सबके लिए अनिवार्य है। आदेश का उल्लंघन अदालत की अवमानना कहलाता है। अक्सर यदि अदालत से अवमानना नोटिस जारी हो, तो व्यक्ति डर जाता है, लेकिन किसी मामले में अदालत के आदेश का ज्ञान न हो और आदेश का उल्लंघन हो जाए, तो उसे अवमानना नहीं कहा जा सकता। इस निरीक्षण के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कमरुनिशा मो. उमर व अन्य 7 के खिलाफ जारी अवमानना कार्रवाई रद्द कर दी।
रोक के बावजूद वारिसदारों ने बेच दिया था भूखंड : याचिकाकर्ता के अनुसार वे मृतक समद खान के वारिसदार हैं। समद के एक भू-खंड का विवाद अदालत में जारी था। मामला न्यायप्रविष्ट होने के कारण उसे बेचने पर वर्ष 2006 में अदालत ने प्रतिबंध लगाया था। समद ने अदालत के आदेश का पालन करने का शपथपत्र भी दिया था। वर्ष 2007 में समद की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके 8 वारिसदारों ने मिलकर यह भू-खंड बेच दिया। ऐसे में न्यायालय ने वर्ष 2016 में उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया था। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि, समद का शपथपत्र उनकी मृत्यु के बाद समाप्त हो गया। अवमानना कार्रवाई में यह कहीं भी सिद्ध नहीं हुआ कि, वारिसदार जानते थे कि, समद ने भू-खंड न बेचने का कोई शपथपत्र दिया था। ऐसे में यह अदालत की अवमानना नहीं है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ अवमानना के इस मामले को खारिज कर दिया।
Created On :   27 Sept 2021 4:15 PM IST