मेलघाट के गांव के लोगों के हटाए जाने के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

High court seeks response from the government on the issue of removal of the people of Melghat village
मेलघाट के गांव के लोगों के हटाए जाने के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
मेलघाट के गांव के लोगों के हटाए जाने के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्रक, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेलघाट अभ्यारण्य से कई गांवों के लोगों के अधिकारों व दावों का निपटारा किए बिना उन्हें स्थानांतरित किए जाने के मुद्दे पर राज्य सरकार से  जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से जाना चाहा है कि उसकी ओर से इन गांवों को लेकर क्या कदम उठाए गए है। हाईकोर्ट में दावा किया गया है कि इन गावों में रहनेवाले लोगों के अधिकारों के बारे में विचार नहीं किया जा रहा है। शेड्यूल्ड ट्राइब एंड अदर ट्रेडिशनल फारेस्ट ड्वेलर्स कानून 2006 के हिसाब से मेलघाट के संबंधित गांव में रहनेवाले आदिवासियों के दावों पर विचार किए बिना इन्हें हटाया जा रहा है।

 कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआरबोरकर की खंडपीठके सामने वनशक्ति नामक गैर सरकारी संस्था व सामाजिक कार्यकर्ता पूर्णिमा उपाध्याय की ओर से दायर याचिका व आवेदन पर सुनवाई चल रही है। आवेदन में सामाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय ने दावा किया है कि  मेलघाट अभ्यारण्य से जिन गांव के लोगों को हटाया जा रहा है उनमे में डोलर, केलपानी, धरगाध, गलरघट, सेसमना, चुरनी व वैरट शामिल हैं। इन सात गांवों में से तीन गांव के लोगों को निष्कासित किया जा चुका है जबकि चार गांवों के ग्रामीणों को निकाले जाने की प्रकिया जारी है।आदिवासियों के अधिकारों पर विचार किए बिना उन्हें निकाला जा रहा है यह वन अधिकार कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। 

सरकारी वकील मनीष पाबले ने सामाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय की ओर से किए गए दावों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि किसी भी गांव के लोगों को जबरन नहीं हटाया जा रहा है। अमरावती व मेलघाट के लोगों की स्वेच्छा से उन्हें हटाने के बारे में कदम उठाए जा रहे है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील जमान अली ने कहा कि जिन क्षेत्रों में विवाद नहीं कम से कम ऐसे इलाकों को तो प्राणियों के लिए मुक्त विचरण क्षेत्र के रुप में चिन्हित किया जाए जिसको लेकर कोई विवाद नहीं है। रिकार्ड के मुताबिक ऐसे 25 क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि  वन्य जीवों के संरक्षण के लिए मानव हस्तक्षेप रहित क्षेत्र होना जरुरी है अन्यथा वन्य जीवों की सख्या कैसे बढ़ेगी। खंडपीठ ने फिलहाल मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई 27 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है और सरकार को मेलघाट के गांवो के संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।  

Created On :   14 March 2020 6:32 PM IST

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