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नया विधेयक लाएगी सरकार, दिसंबर में विशेष सत्र
डिजिटल डेस्क, रायपुर। सूबे में आरक्षण पर चल रही सियासत के बीच नया मोड़ आया है। बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी और संभवत: 1 व 2 दिसंबर को यह विशेष सत्र बुलाया जाएगा। मुख्यमंत्री यह विशेष सत्र छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले से उपजी परिस्थितियों को नियंत्रित करने बुला रहे हैं। इस विशेष सत्र में राज्य सरकार आरक्षण पर नया विधेयक लाने की तैयारी में है।
यूॅं खड़ा हुआ संकट
2012 में रमन सरकार ने आरक्षण के अनुपात में बदलाव करते हुए अजजा वर्ग का आरक्षण 20 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया था। जबकि अजा वर्ग का आरक्षण 16 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया था। इस बदलाव को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इस पर फैसला सुनाते हुए राज्य के आरक्षण अधिनियमों की उस धारा को रद्द कर दिया, जिसमें आरक्षण का अनुपात बढाया गया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से आरक्षण की व्यवस्था संकट में आ गई। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है। परीक्षाएं टाल दी गईं। काउंसलिंग के लिए सरकार ने कामचलाऊ रोस्टर जारी कर 2012 से पहले की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की। इस बीच आदिवासी समाज के पांच लोग उच्चतम न्यायालय पहुंचे। राज्य सरकार ने भी इस फैसले के खिलाफ अपील की है। फिलहाल कोर्ट ने स्थगन देने से इंकार कर दिया है।
Created On :   10 Nov 2022 2:07 PM IST