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वन-विभाग इंसानों को मारकर कमा रहा पैसा
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। एक वर्ष में मूल तहसील में 24 बेगुनाह नागिरक बाघ का शिकार हो गए। इस ओर अनदेखी कर वनविभाग पैसा कमाने में व्यस्त है। ताड़ोबा में सफारी से कोर क्षेत्र में घूमने वाले पर्यटकों से एक सफारी के 45 हजार और बफर वालों से 42 हजार रुपए शुल्क निर्धारित है। वनविभाग ने अब इंसानों को मारकर पैसे कमाने का कोरा कारोबार शुरू किया है। ऐसा आरोप पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने मूल में हुई पत्र परिषद में किया है।
ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से सटकर वनविभाग ने बफर जोन तैयार किया है। व्याघ्र प्रकल्प और बफर जोन में बाघ को खुला छोड़ा गया है, किंतु जंगल से सटकर ही किसानों की खेती है, जो उनके उपजीविका का साधन है। क्योंकि मूल तहसील उद्योगरहित है। नतीजन एक वर्ष में मूल तहसील में 24 बेगुनाह नागिरक बाघ का शिकार हो गए हैं। इसके लिए वनविभाग और अधिकारी जिम्मेदार है। किंतु सरकार इंसानी जान की कीमत लगा रही है, ऐसा आरोप पूर्व मंत्री शोभा फड़णवीस ने पत्र परिषद में किया है।
पत्र परिषद में अविनाश जगताप, महेंद्र करकाडे, लोकनाथ नर्मलवार, संजय मारकवार, विपीन भालेराव, साहिल येनगंटीवार आदि उपस्थित थे।शोभा फडणवीस ने कहा कि वनविभाग जंगल में सुरक्षा दीवार बनाये अथवा कंटीली बाड़ लगाये। जिससे खेत में काम करने वाले किसानों पर हिंसक जानवर हमला न कर सके। इस ओर शासन और वनविभाग के मुख्य अधिकारियों का एक जनप्रतिनिधि के रूप में ध्यानाकर्षण किया था। किंतु आज तक वनविभाग और शासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। इसके बावजूद वनविभाग इसकी रोकथाम के लिए उपाय योजना करने की बजाय अपना कारोबार बढ़ाने में जुटे हैं। पहले ताड़ोबा में 21 गेट से पर्यटकों को प्रवेश दिया जाता था किंतु अब और 7 गेट बढ़ाने की जानकारी पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने दी है।
फडणवीस ने आगे कहा कि,ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में पर्यटकों को सुबह और दोपहर में प्रवेश दिया जाता था। जिससे पर्यटक भ्रमण कर बाघों को देखकर लुत्फ उठा सकते थे। किंतु अब 12 घंटे के लिए सफारी की जा रही है।
अब जिले में बाघों की संख्या 200 से बढ़कर 300 हो गई है। ताड़ोबा में सफारी से कोर क्षेत्र में घूमने वाले पर्यटकों से एक सफारी के 45 हजार और बफर वालों से 42 हजार रुपए शुल्क निर्धारित है। वनविभाग ने अब इंसानों को मारकर पैसे कमाने का कोरा कारोबार शुरू किया है। ऐसा आरोप पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने पत्र परिषद में किया है। बाघ, तेंदुआ, जंगली सुअर, भालू जैसे जानवर किसानों पर हमला कर रहे हैं। इस प्रकार के हमले में अनेकों को जान गंवानी पड़ी है। अब वनविभाग को इसकी गंभीर दखल लेने की आवश्यकता है। अब वन्यजीव जंगल छोड़कर रिहायशी बस्ती तक आ रहे हंै। इसकी रोकथाम के लिए दूरगामी उपाय योजना करना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं होता है तो भविष्य में मानव वन्यजीव संघर्ष की बजाय वनविभाग-नागरिकों के बीच संघर्ष की प्रबल संभावना है।
Created On :   3 Dec 2022 5:32 PM IST