विदर्भ की जेलों में सजा भुगत रहे 52 विदेशी कैदी, छुड़ाने की नहीं कोई पहल

Foreign prisoners are serving sentence in the jail of vidarbha
विदर्भ की जेलों में सजा भुगत रहे 52 विदेशी कैदी, छुड़ाने की नहीं कोई पहल
विदर्भ की जेलों में सजा भुगत रहे 52 विदेशी कैदी, छुड़ाने की नहीं कोई पहल

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विदर्भ की जेलों में 52 से अधिक विदेशी कैदी हैं। नागपुर सेंट्रल जेल में भी 7 विदेशी कैदी हैं। इनमें 5 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। इन कैदियों काे नागपुर की सेंट्रल जेल में राज्य की दूसरी जेलों से भेजा गया है। इनमें ड्रग्स से जुड़े मामले के भी आरोपी शामिल हैं। कुछ विदेशी संगीन अपराधों में लिप्त मिले थे, वे भी विदर्भ की जेलों में बंद हैं । इन कैदियों को अपने छूटने का इंतजार है। कुछ ऐसे भी विदेशी कैदी हैं, जिनके बारे में उनके परिजनों तक उनका हाल चाल पहुंचाने में जेल प्रशासन को कानूनी बंदिशों के चलते परेशानी का सामना करना पड़ता है। राज्य की जेल प्रशासन की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि  जिस तरह से विदेशी जेलों में बंद भारतीय कैदियों को अपने वतन वापस आने की चिंता सता रही है। वैसे ही राज्य की जेलों में बंद विदेशी कैदियों को अपने वतन जाने की चिंता लगी है। इधर देश की कुछ राज्य सरकारें इन विदेशी कैदियों को उनके वतन भेजने की तैयारी दर्शायी है। 

छुड़ाने की कोई पहल नहीं 
अहम बात यह है कि इन कैदियों के परिजनों ने यहां आकर इन्हें छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं किया है। इन विदेशी कैदियों के सामने भाषा भी बड़ी समस्या है। जेलों में कई कर्मचारी उनकी भाषा को ही नहीं समझ पाते हैं। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया है कि देश की जेलों में बंद कैदियों को छोड़े जाने के लिए सार्थक पहल की जानी चाहिए, ताकि लंबे समय से देश की जेलों में बंद विदेशी नागरिक अपनी सजा पूरी कर अपने देश वापस लौट सकें। इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। 

दिल्ली और मुंबई से जुड़ा गिरोह
सूत्रों ने बताया कि विदर्भ की जेलों में नाइजीरियन और कनाडा के कैदी हैं। यह वे अपराधी हैं, जो ड्रग्स या हेरोइन के साथ पकड़े गए हैं। नागपुर के जरीपटका थानांतर्गत कुछ वर्ष पहले नाइजीरिया की ड्रग्स माफियाओं की एक गिरोह पकड़ा गया था, जो नागपुर में ड्रग्स लाकर बेचने का काम किया करते थे। यह गिरोह दिल्ली और मुंबई में भी ड्रग्स का कारोबार करता था। इसके लिए उन्होंने स्लीपर सेल बना रखे थे, जो उनकी खेप को बेचने में उनकी मदद किया करते थे। 

कैदियों का रिकार्ड तैयार होगा
सूत्रों की मानें तो नागपुर में जेल डीआईजी का कार्यालय है। इस कार्यालय से विदर्भ के कई जिलों की जेलों को संचालित किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि नागपुर- वर्धा रोड पर जेल डीआईजी कार्यालय जल्द ही विदेशी कैदियों का रिकार्ड तैयार करेगा। उनके आपराधिक कारनामों का लेखा-जोखा भी तैयार किया जाएगा, जिससे यह बात पता चल सकेगी िक कौन से विदेशी कैदी पर क्या अपराध दर्ज है। 
नागपुर की जेल में 7 विदेशी कैदी बंद 

7 कैदी हैं जेल में
नागपुर की जेल में 7 कैदी हैं। उन्हें छोड़ने का आदेश अदालत पर निर्भर है। जेल प्रशासन का कार्य होता है कि यहां आने वाले कैदियों को रखना। उसके बाद उन्हें समय- समय पर संबंधित अदालतों के समक्ष बुलाए जाने पर पेश करना। नागपुर में जेलों में बंद कैदियों के आपराधिक रिकार्ड के बारे में गोपनीयता के चलते अधिक जानकारी दे पाना मुनासिब नहीं है।  -रानी भोसले, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, नागपुर

जेल प्रशासन भी परेशान
इन विदेशी कैदियों को लेकर जेल प्रशासन भी खासा परेशान है। खान-पान से लेकर हर प्रकार की समस्या निर्माण होने लगती है। देश की जेलों में  जेलों में हत्या, दुष्कर्म और चोरी के मामलों में देश की जेलों में 70 हजार से अधिक कैदी बंद हैं। सूत्र बताते हैं कि हमें विदेशियों द्वारा उत्पन्न समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा। ये लोग अवैध तरीके से रहते हुए अवैध कार्य करने लगते हैं। 
 

Created On :   19 April 2019 8:42 AM GMT

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