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वैश्विक एजेंडा तय करते हैं नरेन्द्र मोदी - प्रबुद्ध वर्ग की परिचर्चा में बोलीं सुषमा स्वराज
डिजिटल डेस्क, सतना। केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि विदेशमंत्री के तौर पर वो स्वयं साक्षी हैं कि आज नरेन्द्र मोदी विश्व का एजेंडा तय करते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस उसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जो गौरव और प्रतिष्ठा उन्होंने विश्व में भारत की बढ़ाई है उससे मोदी की गणना विश्व के अग्रणी नेताओं में की जाती है। सितम्बर 2014 में मोदी पहली बार संयुक्त राष्ट्र की सभा को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संबोधित कर रहे थे। उस मंच से उन्होंने केवल इच्छा प्रकट की थी कि 21 जून का दिन पृथ्वी का सबसे बड़ा दिन होता है। उसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। विदेश मंत्री बुधवार को यहां टाउन हॉल में आयोजित प्रबुद्ध वर्ग की परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रुप में बोल रही थीं। इस अवसर की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी श्रीकृष्ण महेश्वरी ने की। सांसद गणेश सिंह और मेयर ममता पांडेय भी उपस्थित रहीं।
177 देशों का मिला था साथ
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक प्रस्ताव दिया। संयुक्त राष्ट्र के 193 देश सदस्य हैं, जिसमें 177 देश सहप्रायोजक बने और बकाया 16 देशों ने विरोध नहीं किया। मात्र 75 दिन के अंदर संयुक्त राष्ट्र से यह प्रस्ताव निर्विरोध पास हो गया जो कि रिकॉर्ड है। उसी का परिणाम है कि आज 21 जून को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के योग का डंका पूरी दुनिया में गूंज रहा है। वो राजनीति के साथ-साथ भारतीय दर्शन का पाठ पढ़ाते हैं।
26/11 का भी किया जिक्र
सुषमा स्वराज ने परिचर्चा के दौरान 26/11 का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब आंतकवादियों ने 2008 में मुम्बई पर हमला किया था। उस हमले में 166 लोग मारे गए थे। जिसमें 126 भारतीय थे और 40 लोग 14 अलग-अलग देशों से ताल्लुक रखते थे। तबकि सरकार यदि चाहती तो उन 14 देशों का साथ लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकती थी मगर ऐसा नहीं किया। मगर जब उरी और पुलवामा पर आंतकी हमला हुआ तो सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाने का काम किया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी प्राप्त किया। 57 इस्लामिक राष्ट्रों में पाकिस्तान आइसोलेट हुआ है।
1969 और 2019 का फर्क
वर्ष 1969 और 2019 के बीच फर्क समझाते हुए स्वराज ने कहा कि एक वक्त था जब 1969 में 57 इस्लामिक राष्ट्रों के समूह ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) की बैठक में भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद को पाक के दबाव के चलते बैठक में शामिल नहीं होने दिया गया। 1 मार्च 2019 को ओआईसी की स्वर्ण जयंती पर मेजबान यूएई ने भारत का न्योता भेजा। पाकिस्तान ने फिर विरोध किया कि अगर भारत का दावतनामा रद्द नहीं किया तो पाकिस्तान नहीं आएगा। इस पर यूएई ने दो टूक कह दिया...पाक नहीं आता तो न आए मगर भारत को भेजा गया न्योता रद्द नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह है अंतर 1969 और मोदी के भारत में।
Created On :   25 April 2019 2:02 PM IST