Narada case: तृणमूल के चारों नेताओं को राहत, पांच जजों की बेंच ने दो-दो लाख रुपये के दो बॉन्ड पर जमानत दी

Five judge bench gives interim bail to Trinamool leaders in Narada case
Narada case: तृणमूल के चारों नेताओं को राहत, पांच जजों की बेंच ने दो-दो लाख रुपये के दो बॉन्ड पर जमानत दी
Narada case: तृणमूल के चारों नेताओं को राहत, पांच जजों की बेंच ने दो-दो लाख रुपये के दो बॉन्ड पर जमानत दी

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। नारद स्टिंग केस में कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच-जजों की बेंच ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों सहित तृणमूल के चार नेताओं को अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि, अदालत ने कहा कि फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोवन चटर्जी को दी गई शर्तों के साथ अंतरिम जमानत केवल तब तक वैध है जब तक कि बेंच इस मामले में अंतिम आदेश नहीं दे देती। पीठ ने दो-दो लाख रुपये के दो बांड भरने पर अंतरिम जमानत दी है।

शुक्रवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि चारों प्रभावशाली लोग हैं और जनता की भावनाओं को फिर से भड़का सकते हैं। जस्टिस मुखर्जी ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि टीएमसी नेताओं, जिन्हें चार साल से अधिक समय से जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया है, को अब घर में नजरबंद रखा जाना चाहिए, जब उन्हें महामारी के दौरान सार्वजनिक कार्य करने की आवश्यकता होती है। एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस आईपी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और अरिजीत बनर्जी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। 

बता दें कि 17 मई को सीबीआई ने चारों टीएमसी नेताओं (मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी) को गिरफ्तार किया था। इसके बाद निजाम पैलेस से वर्चुअल सुनवाई के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था। सिटी सेशन्स कोर्ट ने इन चारों को बेल दी थी। लेकिन करीब 5 घंटे बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमानत के आदेश पर रोक लगा दी और इन्हें सीबीआई की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

इसके बाद चारों नेताओं ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया था। दरअसल, चारों नेताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाली कलकत्ता हाई कोर्ट की बेंच में एक जज जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने अंतरिम जमानत देने पर रजामंदी दी थी, लेकिन कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल जमानत देने के पक्ष में नहीं थे। इस वजह से बेंच ने हाउस अरेस्ट का आदेश दिया था।

गिरफ्तारी के बाद किए थे विरोध प्रदर्शन
इन नेताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, सैकड़ों टीएमसी कार्यकर्ताओं ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए विरोध रैलियां निकालीं थी। सीएम ममता बनर्जी भी सीबीआई दफ्तर पहंच गई थी। करीब 6 घंटे तक वह सीबीआई दफ्तर में रही थीं। सीबीआई के निज़ाम पैलेस कार्यालय में, टीएमसी समर्थकों ने मेन गेट के सामने लगाए गए बैरियर्स को तोड़ दिया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की गई थी। उन्होंने कार्यालय परिसर के सामने पहरा देने वाले केंद्रीय बलों पर ईंटें और बोतलें भी फेंकी थी। 

क्या है नारद स्टिंग केस?
गौरतलब है कि 2014 में नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें टीएमसी के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की तरह दिख रहे लोगों को कथित तौर पर एक फर्जी कंपनी के प्रतिनिधियों से पैसे लेते देखा गया था। पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टेप को सार्वजनिक किया गया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

Created On :   28 May 2021 5:24 PM IST

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