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पहले अतिवृष्टि, फिर जंगली हाथी और अब मावा-तुड़तुड़ा से धान की फसलें हो रहीं तबाह
कृष्णा चौधरी | कुरखेड़ा(गड़चिरोली)। धान उत्पादक गड़चिरोली जिले के अन्नदाताओं को इस वर्ष कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुरखेड़ा तहसील की सती नदी में आयी बाढ़ के चलते जुलाई और अगस्त माह में अधिकांश किसानों ने अपनी फसलों को तबाह होते देखा। जिसके बाद िपछले 12 दिन से क्षेत्र के दर्जनों गांवों में हाथियों के उत्पात से धान की फसलें नष्ट हो रही हंै। अब लगातार बदल रहे मौसम के कारण फसलों पर मावा और तुड़तुड़ा नामक कीटों ने हमला बोल दिया है। इन कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाने अब किसान फसलों पर विभिन्न प्रकार की दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि, अतिवृष्टि के चलते जिन किसानों की फसलें तबाह हुई हैं, ऐसे किसानों के खेतों का सर्वेक्षण स्थानीय प्रशासन के माध्यम से किया गया है। नुकसानग्रस्त किसानों की सूची भी जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार को प्रेषित की गयी है। लेकिन अब तक तहसील के बाढ़ग्रस्त किसानों को वित्तीय मदद के रूप में फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है। मूसलाधार बारिश के दौरान फसलें नष्ट होने के बाद किसानों ने दोबारा बुआई कर एक बार फिर हिम्मत जुटाते हुए खेती करना शुरू किया। वर्तमान में हल्की प्रजाति की फसलें लहलहाने लगी हैं। फसलों में धान उगने लगे हंै। खेत परिसर से गुजरते ही धान की महक सभी को आकर्षित करने लगी है। ऐसे में ही छत्तीसगढ़ राज्य से क्षेत्र में दाखिल हुए जंगली हाथियों के झुंड ने इन फसलों को ही अपना निशाना बना िदया है।
पिछले बारह दिनों से तहसील के पिपरी, वारवी, घाटी, खैरी, बेलगांव, चिनेगांव, आंधली, पलसगांव, वाघेड़ा आदि गांव परिसर में खेतों में जंगली हाथियों के झुंड ने जमकर उत्पात मचाया। हाथियों के एक साथ खेत परिसर में घुसने से तहसील के 100 से अधिक किसानों की फसलें तहस-नहस हो गयीं। इन फसलों के नुकसान का सर्वेक्षण वर्तमान में वनविभाग और राजस्व प्रशासन के कर्मचारी कर रहे हंै। वर्तमान में बारिश रुक-रुककर हो रही है। कभी धूप तो कभी बारिश के कारण मौसम लगातार बदल रहा है। ऐसे में तहसील के अधिकांश इलाकों की फसलों पर विभिन्न प्रकार के कीटों ने भी हमला बोल दिया है। वर्तमान में मावा और तुड़तुड़ा नामक कीटों के प्रकोप से लहलहाती धान की फसल कुम्हलाने लगी है। जिसके कारण एक बार फिर किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है।
Created On :   21 Sept 2022 3:03 PM IST