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खेती के साथ फलों का उत्पादन भी करें किसान
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। किसान बंधुओं को धान रोपाई उचित दूरी रखकर करने पर धान फसलों को अनेक बीमारियों से दूर रखा जा सकता है। किसानों का मार्गदर्शन करने के साथ ही जिला कृषि अधिकारी बसवराज मास्तोली, गड़चिरोली के उपविभागीय कृषि अधिकारी प्रदीप वाहने ने प्रत्यक्ष रोपाई कर दिखाया। पिछले कुछ वर्षों से धान फसलों पर सितंबर, अक्टूबर, नवंबर माह में तुड़तुड़ा का प्रकोप हुआ है। इस पर उपाय के रूप में रोपाई करते समय पट्टा पद्धति का अवलंब किया तो तुड़तुड़ा के प्रकोप से होने वाली धान फसलों का नुकसान टाला जा सकता है। जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी बसवराज मास्तोली ने माडेतुकुम में किसानों का प्रत्यक्ष मार्गदर्शन कर पट्टा पद्धति का महत्व समझाया।
पट्टा पद्धति से धान की रोपाई 25 बाय 15 सेमी दूरी पर 2 से 3 सेमी तक करें। माडेतुकुम के किसान प्रभाकर गेडाम के खेत पर प्रत्यक्ष प्रात्यक्षिक कर दिखाया गया। इस समय उपविभागीय कृषि अधिकारी प्रदीप वाहने, मंडल कृषि अधिकारी नेहा पवार, कृषि पर्यवेक्षक शीतल हेमके, कृषि सहायक किशोर भैसारे उपस्थित थे। इस समय जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी मास्तोली ने कहा कि, किसान पारंपारिक खेती करने के अलावा फलबाग लगाए। इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मदद मिलती है। फल बाग लगाने के लिए उचित प्रक्रिया की जानकारी होना आवश्यक है। फलबाग से उत्पादन तो बढ़ेगा ही तथा फल बिक्री से व्यवसाय भी कर पाएंगे। माडेतुकुम के प्रभाकर गेडाम के खेत में आम, कटहल, संतरे, चीकू आदि फल के पौधे हैं। फलबाग से अच्छी आय होती है। इससे किसानों की उन्नति होती है। खेती के साथ ही किसानों को व्यवसाय के तौर पर फलबाग लगाना चाहिए।
Created On :   20 July 2022 2:48 PM IST