मानसून की बेरूखी से किसान परेशान, 20 से 25% फसल हो सकती है खराब

Farmers are disturbed by absurdity of monsoon, crop may be bad
मानसून की बेरूखी से किसान परेशान, 20 से 25% फसल हो सकती है खराब
मानसून की बेरूखी से किसान परेशान, 20 से 25% फसल हो सकती है खराब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानसून की बेरूखी से किसान बुरी तरह परेशान व घबराया हुआ है। विदर्भ में करीब 60 से 70 प्रतिशत बुआई हो चुकी है। जिसने बुआई कर दी है, उसे चिंता यह है कि बगैर पानी पौधे कैसे बचेंगे और जिन्हें अभी बुआई करनी है, वे इस चिंता में हैं कि कब बादल बरसें और बुआई हो। सवाल यह है कि बारिश के इतने अंतराल के बाद बोई गई फसल में उतनी पैदावार मिल भी सकेगी या नहीं, जितनी होनी चाहिए।

विशेषज्ञों की मानें तो मानसून के छल के चलते यदि बोए गए बीज में अंकुरण हो भी गया है और वे जीवित भी रह जाएं तो उत्पादन पर फर्क पड़ेगा। विदर्भ की मुख्य फसलें कपास, सोयाबीन और तुअर है। पूर्व-दक्षिण विदर्भ में इन फसलों के अलावा धान का जोर रहता है।

24 घंटे बिजली जरूरी
अनुमान है कि सोयाबीन के 20 से 25 प्रतिशत तक खराब व कम होने के आसार हैं। कपास में भी कमोबेश यही स्थित होगी। श्री जवांधिया का मानना है कि मानसून की विकट स्थिति को देखते हुए सरकार को आगे आना चाहिए। मानसूनी पानी नही है, तो किसान को कुएं व पाताली नल से पानी निकालने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता बिजली की है। भू-जल स्तर भी घटा है। इससे लगातार पंप चलाना मुमकिन नहीं है। अत: सरकार को चाहिए कि कृषि कार्य के लिए 8 से 12 घंटे दी जा रही बिजली को अब पूरे 24 घंटे देना चाहिए। इससे ही किसान का कुछ भला हो सकेगा। 

कपास कुछ मजबूत फसल है। अंकुरण के बाद यदि इसमें 4 पत्तियां निकल आई हैं, तो बगैर पानी यह पौधा करीब 3 सप्ताह तक जीवित रह सकता है। हालांकि उसका विकास कमजोर होगा। 

सोयाबीन भी अंकुरण के बाद दो सप्ताह तक पानी की कमी झेल सकता है, लेकिन यहां भी उसके विकास पर फर्क आएगा। फल्ली में दाने कम होंगे। 
तुअर देर से ही बोई जाती है, इसलिए उस पर फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बाद में यदि बारिश अधिक रही तो तुआर को भी नुकसान होने की आशंका बढ़ जाएगी। 

अभी तक
किसान नेता विजय जावंधिया के अनुसार, माह की शुरुआत में आई मानसून की अच्छी बौछारों के बाद करीब 60 से 70 प्रतिशत किसान ने बुआई कर ली है। 

Created On :   16 July 2019 5:55 AM GMT

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