मुख्यमंत्री की घोषणा के 20 माह बाद भी मॉडल मेडिकल कॉलेज की नहीं हुई पहल

Even after 20 months of Chief Ministers announcement, no initiative has been taken for Model Medical College
मुख्यमंत्री की घोषणा के 20 माह बाद भी मॉडल मेडिकल कॉलेज की नहीं हुई पहल
शहडोल मुख्यमंत्री की घोषणा के 20 माह बाद भी मॉडल मेडिकल कॉलेज की नहीं हुई पहल

डिजिटल डेस्क, शहडोल। मेडिकल कॉलेज शहडोल को मॉडल मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जुलाई 2021 को घोषणा की थी। तब सीएम ने कहा कि यह मेडिकल कॉलेज ऐसा बने कि भोपाल-इंदौर के बजाए लोग यहां आने के लिए इच्छुक रहें। खासबात यह है कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर 20 माह बाद भी ठोस प्रशासनिक पहल नहीं हुई। मेडिकल कॉलेज को मॉडल मेडिकल कॉलेज बनाना तो दूर निश्चेतना जैसी जरुरी विभाग में डॉक्टरों की कमी से जूझना पड़ रहा है। बतादें कि शहडोल मेडिकल कॉलेज संभाग में चिकित्सा का विश्वसनीय संस्थान हैं। यहां शहडोल के साथ ही पड़ोसी जिले अनूपपुर और उमरिया से प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। लोगों का कहना है कि मॉडल मेडिकल कॉलेज बनने से लोगों को सभी प्रकार के इलाज की बेहतर सुविधा मिलेगी।

सपना : मॉडल मेडिकल कॉलेज यानी सब परफेक्ट

जानकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल मेडिकल कॉलेज को मॉडल मेडिकल कॉलेज बनाने का सपना देखा है तो इसके पीछे मंशा यही होगी कि यहां आने वाले मरीजों को सभी तरह की सुविधाएं परफेक्ट मिले। मैस है तो खाना बेहतर मिले। सफाई में पूरा परिसर स्वच्छ रहे। इलाज ऐसा हो कि एक बार आने के बाद मरीज संतुष्ट होकर जाए। बीमारी कैसी भी हो, उसका इलाज यहां हो जाए। किसी भी बीमारी के डॉक्टरों की कमीं नहीं रहे।

हकीकत : दो निश्चेतना डॉक्टर के भरोसे 10 ऑपरेशन थियेटर

शहडोल मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज में आने वाली परेशानी की लंबी फेहरिस्त है। यहां निश्चेतना के 4 पद में दो खाली हैं। 2 निश्चेतना डॉक्टर के भरोसे 10 ऑपरेशन थियेटर कैसे चलेगा। छोटे बच्चों के लिए आईसीयू खुला तो 40-40 बच्चों को देखने के लिए दो ही डॉक्टर हैं। जबकि 5-5 अतिरिक्त डॉक्टर की जरुरत है। मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी यहां सीटी स्कैन व एमआरआई की सुविधा नहीं है। सीटी स्कैन को लेकर भोपाल के अफसरों ने यह तक कह दिया कि जिला अस्पताल में मशीन है, वहीं काम चलाया जाए। यानी मेडिकल कॉलेज में किसी को इमरजेंसी में सीटी स्कैन की जरुरत पड़ी तो 4 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज जाना पड़ेगा।

प्रशासनिक उदासीनता का बड़ा उदाहरण

मेडिकल कॉलेज को मॉडल मेडिकल बनाने के लिए सीएम की घोषणा के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में स्थानीय अधिकारियों को आगे आकर पहल करनी चाहिए थी। नागरिकों ने बताया कि इस मामले में अधिकारियों द्वारा समय रहते ध्यान नहीं दिए जाने का यह बड़ा उदाहरण है। खासबात यह है कि इस संबंध में जिम्मेदार आला अधिकारी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे।

Created On :   15 Feb 2023 10:46 PM IST

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