यहां निकलती है गधे की सवारी : बीड में दामाद के साथ निभाई जाती है 85 साल पुरानी परंपरा

Donkey ride comes out here: 85 years old tradition is played with son-in-law in Beed
यहां निकलती है गधे की सवारी : बीड में दामाद के साथ निभाई जाती है 85 साल पुरानी परंपरा
अनोखी होली यहां निकलती है गधे की सवारी : बीड में दामाद के साथ निभाई जाती है 85 साल पुरानी परंपरा

डिजिटल डेस्क, बीड । होली में अब एक  दिन शेष रह गए हैं.। देश के अलग-अलग हिस्सों में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।कई जगहों पर होली को लेकर हंसी-मजाक वाली परंपराएं भी होती हैं । अक्सर नए दामाद के साथ उनके ससुराल में मस्ती-मजाक किया जाता है.। महाराष्ट्र के बीड में तो होली में दामाद के साथ एक अजीब ही परंपरा निभाई जाती है. । बीड जिले के केज तहसील के विडा येवता गांव में होली के दिन दामाद को गधे पर बिठाकर रंग लगाने की रस्म है.। यह परंपरा करीब 85साल से निभाई जाती रही है ।इसके पीछे की कहानी बड़ी ही मजेदार है । चलिए बात करते हैं 85 साल पुरानी इस परंपरा के बारे में.।दरअसल, बहुत सारे लोग होली में रंग से बचते नजर आते हैं ।रंग गहरे से लग जाए तो उसे छुड़ाने में भी पसीने छूट जाते हैं। इसलिए बहुत से लोग रंग लगवाने से बचते हैं और कहीं छिप जाते हैं या फिर अपने को कमरे में बंद कर लेते हैं। जबरदस्ती रंग लगाने के चक्कर में झगड़े भी हो जाते हैं और फिर "बुरा न मानो होली है" वाली कहावत भी काम नहीं आती ।

ऐसा ही हुआ था, 85 साल पहले.।बीड जिले की केज तहसील के विडा येवता गांव में हुआ ये कि देशमुख परिवार के एक दामाद ने होली में रंग लगवाने से मना कर दिया. ।तब उनके ससुर ने उन्हें रंग लगाने के लिए मनाने की कोशिश में लग गए. ।उन्होंने फूलों से सजा हुआ एक गधा मंगवाया, उस पर दामाद को बिठाया और फिर उसे पूरे गांव में घुमाया गया.।दामाद को गधे पर बिठा कर मंदिर तक ले जाया गया. ।वहां ले जाकर दामाद की आरती उतारी गई.। उन्हें नए कपड़े और सोने की अंगूठी दी गई.। वहां उनका मुंह मीठा कराया और फिर रंग लगाया गया.।हर साल उस गांव में ऐसा होता रहा और फिर यह एक परंपरा बन गई.।अब इस गांव में हर साल होली से पहले ऐसे दामाद को ढूंढा जाता है, जिनकी नई-नई शादी हुई हो। सबसे नए दामाद के साथ होली पर यह परंपरा निभाई जाती है. कई बार तो गांव के कुछ दामाद इससे बचने के लिए छिपकर भागने की कोशिश करते हैं.। लेकिन गांव के लोगों द्वारा उनपर पूरा पहरा रखा जाता है. ।ताकि हर हाल में यह परंपरा निभाई जा सके.।पिछले साल कोरोना की वजह से यह परंपरा नहीं निभाई जा सकी थी। इस बार  शुक्रवार को परंपरा निभाने की पूरी तैयारी कर ली गई है।

कोरोना के चलते  बंद थी परंपरा
 बीड के केज तहसील से विडा येवता गांव में कोरोना के चलते पिछले  साल मेंसे दामाद को गधे पर सवारी की  परंपरा निभाई नही गई ।किंतु इस साल  दामाद को शुक्रवार को होली के दिन गधे पर बैठाकर सवारी की तैयारियां  पूरी हो चुकी है ।

 
 

Created On :   16 March 2022 3:47 PM IST

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