दिव्यांगों ने बदली अपनी दुनिया, पढ़कर पाया मुकाम  

Divyang changed their world, found their place by studying
दिव्यांगों ने बदली अपनी दुनिया, पढ़कर पाया मुकाम  
दिव्यांगों का दम दिव्यांगों ने बदली अपनी दुनिया, पढ़कर पाया मुकाम  

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मन में हो विश्वास हो तो शरीर की विकांलगता भी बाधा नहीं बनती। इसी का जीता जागता उदाहरण है भोपाल ब्लाइंड स्कूल के 4 पूर्व छात्र जिन्होंने आंखो में रोशनी न होते हुए भी अपने आत्मविश्वास से सफलता के आयाम गढ़े हैं। आज ये छात्र शासकीय विभागों के पदों पर आसीन है। इनमें तीन आज स्कूलों में शिक्षा देने का काम कर रहे हैं तो एक बैंक में नौकरी कर रहा है। 

जिद करो दुनिया बदलो, सफलता के आगे दिव्यांगता नहीं आती आड़े इस बात को साबित किया है। राजधानी भोपाल में 1250 स्टॉप स्थित दि ब्लाइंड रिलिफ एसोसिएशन के छात्रावास में रहकर ब्लाइंड स्कूल में पड़ने वाले छात्रों ने। 

संस्था के कार्यालय प्रमुख कमल किशोर शिमानिया ने बताया कि दि ब्लाइंड रिलीफ ऐसोसिएशन शिवाजी नगर, भोपाल वर्ष 1970 में प्रारंभ हुई थी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अंचलों के दृष्टिबांधित दिव्यांग बच्चों को कक्षा 6 से 12वीं तक के बच्चों को निशुल्क छात्रावास की सुविधा प्रदान करता है।  सामान्य शिक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण जिसमें कम्प्यूटर, खेल तथा संगीत का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। 

उन्होंने बताया कि संस्था के छात्रावास में प्रवेशित दृष्टिबाधित द्विव्यांग को छात्रावास में प्रवेश प्रदान कर उन्हें सामान्य बच्चों के साथ शासकीय नूतन सुभाष उमावि टीटी नगर भोपाल में अध्ययन करवाने के साथ-साथ उन्हें किताबों के अध्ययन की सीडी, मोबाईल में नोट्स एवं प्रश्नों के उत्तर तथा ब्रेल लिपि में नोटस तैयार करवा शिक्षा की समुचित व्यवस्था करवाने का कार्य किया जाता है, जिसके परिणाम भी अच्छे प्राप्त हुए हैं।
 

50 की क्षमता का छात्रावास
संस्था में वर्तमान में 50 दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को आवास व्यवस्था उपलब्ध है वर्तमान में 45 दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को प्रवेश प्रदान किया गया था। संस्था के द्वारा शिक्षा प्राप्त दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं जिसमें बैंक, रेलवे तथा स्कूल-शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद कार्यरत हैं एव शासकीय तथा अन्य कार्यालयों में भी अपना कार्यरत अत्यन्त कुशलता से कर रहें हैं।
 

ब्रेल प्रशिक्षण 
संस्था द्वारा सभी दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को जिन्हे ब्रेल-लिपि का ज्ञान नहीं है उन्हें ब्रेल प्रशिक्षण प्रदान करवा कर ब्रेल-लिपि के सभी प्रकार से अवगत करवाया जाता है।
 

कोई दे रहा संगीत का ज्ञान तो कोई बैंक में सेवा
सोमेन्द्र सिंह गहलोत : 1997 से 2002 तक संस्था में रहे तथा वर्तमान में शासकीय दृष्टिबाधित विद्यालय भोपाल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
मांगीलाल मालवीय : 1991 से 1996 तक संस्था में रहे तथा वर्तमान में शासकीय संगीत महाविद्यालय नरसिंहगढ़ में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
अनिल भाटी : 1999 से 2000 तक संस्था में रहे तथा वर्तमान में भारतीय स्टैट बैंक आरएसीपीसी-2, में 2003 से कार्यरत हैं।
घुमनसिंह चिढ़ार : 1999 से 2000 तक संस्था में रहे तथा वर्तमान मंे शासकीय माध्यमिक शाला फंदा भोपाल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है।

Created On :   28 Aug 2021 1:22 PM IST

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