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कठिन है मोबाइल टॉवरों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की डगर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमाम कोशिशों के बावजूद देश के लगभग दो-तिहाई मोबाइल टॉवर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए हैं। संचार मंत्रालय के मुताबिक देश में कुल 23,07,068 बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) में से 7,93,551 बीटीएस ही ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ पाए हैं। इस मामले में सरकार यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है कि मोबाइल संचार उपलब्ध कराने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बीटीएस दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के होते हैं और संबंधित कंपनियों द्वारा फाइबर अथवा माइक्रोवेब सहित दूसरे माध्यम से जोड़ने का निर्णय तकनीकी और वाणिज्यिक महत्व के आधार पर लिया जाता है।
महाराष्ट्र में जुड़ पाए हैं सिर्फ 34.2 प्रतिशत बीटीएस
महाराष्ट्र में सिर्फ 34.2 प्रतिशत बीटीएस फाइबर से जुड़े हैं तो मध्यप्रदेश में यह प्रतिशत 34.3 है। इस मामले में छोटे राज्य बेहतर स्थिति में हैं। अंडमान और निकोबार में 71 प्रतिशत से ज्यादा बीटीएस ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ चुके हैं। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की मानें तो मोबाइल टॉवरों पर स्थापित बीटीएस को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने में मुख्य बाधा राज्यों की मार्गाधिकार (आरओडब्ल्यू) नीति केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित भारतीय टेलीग्राफ मार्गाधिकार नियम, 2016 के अनुरूप नहीं होना है। अनुरूपता नहीं होने के चलते दूरसंचार टॉवरों को फाइबर से जोड़ने के लिए मार्गाधिकार की अनुमति लेने में अनावश्यक विलंब होता है और शुल्क भी ज्यादा देना पड़ता है। हालांकि केन्द्र सरकार ने मार्गाधिकार संबंधी चुनौतियों को दूर करने और समान मार्गाधिकार के लिए कई कदम उठाए हैं। नतीजतन अब तक 32 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने अपनी मार्गाधिकार नीति को अधिकांशतया भारतीय टेलीग्राफ आरओडब्ल्यू नियमावली, 2016 के अनुरूप कर लिया है। मंत्री ने बताया कि दूरसंचार विभाग आरओडब्ल्यू की अनुमतियों के लिए केन्द्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
राज्य बीटीएस की संख्या फाइबर से जुड़े बीटीएस
महाराष्ट्र 2,40,951 82,513
मध्यप्रदेश 1,18,763 40,701
उत्तरप्रदेश 2,89,326 89,058
पश्चिम बंगाल 1,46,574 51,033
गुजरात 1,40,066 50,177
बिहार 1,02,938 31,055
अंडमान और निकोबार 702 499
(आंकड़े फरवरी, 2022 के हैं)
Created On :   30 April 2022 6:57 PM IST