जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई और सीजेआई की शपथ लेने पर रोक लगाने की मांग

Contempt of court action against Justice Chandrachud and demand for ban on taking oath of CJI
जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई और सीजेआई की शपथ लेने पर रोक लगाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई और सीजेआई की शपथ लेने पर रोक लगाने की मांग

डिजिटल डेस्क , नई दिल्ली । जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में अगले महीने की 9 तारीख को शपथ लेंगे, लेकिन इससे पहले उनकी सीजेआई की शपथ रोकने और उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है। यह याचिका इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राईट्स एक्टिविस्ट्स एसोसिएशन की ओर से दायर की गई है। याचिका में जस्टिस चंद्रचूड़ पर भेदभावपूर्ण तरीका अपनाकर संविधान के खिलाफ काम करने और जज की ली गयी शपथ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। एसोसिएशन की ओर से मामले में पेश होने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आनंद जोंधले के मुताबिक याचिका में एक जैसे मामलों में वरिष्ठ वकील और अमीर लोगों के पक्ष में आदेश देना और ज्यूनियर वकील तथा गरीब याचिकाकर्ताओं को वैसे ही मामले में अलग आदेश देकर उनके अधिकारों का हनन करना जैसे 12 से अधिक मामलों के कोर्ट रिकॉर्ड्स और सबूत याचिका के साथ पेश किए गए है।  
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए मांग की गई है कि जस्टिस चंद्रचूड़ को जस्टिस कर्णन की तरह कोर्ट अवमानना के मामले में सजा दी जाए और उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340, 344 के तहत कार्रवाई की जाए। साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया जाए कि वह आईपीसी की विभिन्न धाराओं में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा बीते 10 अक्टूबर 2022 को अपने बेटे से संबंधित मामले की सुनवाई खुद करने के साथ अन्य कई गुनाहो को उजागर किया है। वकील जोंधले का कहना है कि कानून में यह स्पष्ट प्रावधान है कि भेदभाव करने वाला जज अपनी शपथ का उल्लंघन करता है तो पद पर रहने का अपना अधिकार खो देता है। ऐसे जज को बर्खास्त करने के लिए महाभियोग की कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166,218, 219, 201 और 202 के तहत कानून कार्रवाई और सजा होनी चाहिए। ऐसा कानूनी प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के अपने कई आदेशों में दिया गया है। जोंधले के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले में 31 अक्टूबर को सुनवाई हो सकती है। 

Created On :   28 Oct 2022 2:18 PM GMT

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