औद्योगिक विकास के लिए समृद्धि महामार्ग से चंद्रपुर को जोड़ें

Connect Chandrapur to Samruddhi Highway for industrial development
औद्योगिक विकास के लिए समृद्धि महामार्ग से चंद्रपुर को जोड़ें
चंद्रपुर औद्योगिक विकास के लिए समृद्धि महामार्ग से चंद्रपुर को जोड़ें

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। समृद्धि महामार्ग जिसे गड़चिरोली व गोंदिया तक महाराष्ट्र के विकास के लिये बढ़ाया जा रहा है। उसे महाराष्ट्र सरकार को सर्वाधिक रेवेन्यू देने वाला जिला चंद्रपुर को भी सम्मलित करना जरूरी है और इस ओर सभी चंद्रपुर के राजनीतिक नेता को दबाव बनाना आवश्यक है। इस मार्ग से चंद्रपुर में निर्मित वस्तु विदर्भ समेत महाराष्ट्र के प्रमुख शहर में अति शीघ्र व सस्ते ट्रान्सपोर्ट रेट पर पहुंचेंगे। इसलिए चंद्रपुर में औद्योगिक विकास के लिए सुपर फास्ट मार्गों से जोड़ना समय की जरूरत होने की बात 7 दिसंबर को आयोजित पत्र-परिषद में फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन विदर्भ व एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन चंद्रपुर के अध्यक्ष मधूसुदन रूंगटा ने कही। पत्र परिषद में डा.श्याम कुंदोजवार, प्रदीप बुक्कावार, उत्तम डाखरे, गौरव जैन, अजय कपूर आदि उपस्थित थे। 

खराब कोयले से कई उद्योगों को नुकसान : आनेवाले नागपुर विधानसभा सत्र में चंद्रपुर व विदर्भ के उद्योगाें प्रश्न पर ध्यानाकर्षण के लिए आयोजित पत्र-परिषद में उन्होंने कहा कि, पिछले साल से कोयले के रेट में तीन गुना वृद्धि होने से कई कोयला व्यापारी पत्थर व गिट्टी के टूकड़े, स्पंज आयरन का डस्ट मिलाकर उद्योग को ट्रान्सपोर्ट द्वारा भेज रहे हैं। इससे कई उद्योग नुकसान मंे चल रहे हैं। इन व्यापारी की इन्कम टैक्स, ईडी और सीबीआई द्वारा गलत तरीके से उद्योग व पॉवर स्टेशन को बहुत घटिया स्तर  का कोयला सप्लाय कर अनेक मजदूर की रोजी रोटी बंद करवाने हेतु सख्त कार्रवाई करने की मांग एसोसिएशन द्वारा गृह मंत्रालय से की जा रही है।  रूंगटा ने कहा कि, प्रधानमंत्री और उद्योग मंत्रालय सरलीकरण और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन मनाने का संकल्प ले रहे हैं, वही कोयला सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग व लघु उद्योग को 12 हजार से अधिक रुपए में 8 से 9 माह से बिक रहा है, जिससे उद्योग चरमरा रहे है। केंद्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकार को लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों सस्ते दर पर कोल इंडिया से कोयला उपलब्ध करवा कर देता है।  लेकिन पिछले लगभग 3 वर्ष से नोडल एजेन्सी की नियुक्ति न होने से कोयला तीन गुना महंगा लघु उद्योगों को उठाना पड़ रहा है। 

इस स्थिति से विदर्भ में कोयले पर आधारित उद्योग नुक़सान में है और प्रति महीने इस अनुचित दर से प्रति माह 100 करोड़ की अधिक राशि का नुकसान उद्योग उठा रहे हंै।
प्रदूषण के साथ महंगी बिजली भी : फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन विदर्भ के अध्यक्ष रूंगटा ने कहा कि, विदर्भ विभाग महाराष्ट्र में सिर्फ प्रदूषण की मार झेल रहा है और 90 प्रतिशत से अधिक उत्पादित थर्मल पॉवर की विद्युत विदर्भ से बाहर दे रहा है, जिसकी वजह से मुंबई, ठाणे, नाशिक, पुणे को जरूरत अनुसार 40 वर्ष से नियमित बिजली आपूर्ति हो रही है। बायलर का तापमान, प्रदूषण की मार थर्मल पॉवर स्टेशन निर्मित करने वाले चंद्रपूर, नागपुर, भंडारा, अमरावती झेल रहा है। क्रॉस सबसिडी का भार भी यहां के उद्योग महंगी बिजली लेकर घाटे में या अल्प मुनाफे में ही उद्योग चला पा रहे हैं। आज राज्य सरकार को जरुरत है की विदर्भ के उद्योग को जीवित रखने के लिये विद्युत दर मे 4 रुपए प्रति यूनिट की छूट दे।  विदर्भ के खनिज पदार्थ और जंगल की बहुलता से जो औद्योगिक विकास ओड़िसा, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्य में हुआ, उसको देखते हुए 25 प्रतिशत भी उनके समक्ष नहीं हो पाया। 


 

Created On :   8 Dec 2022 6:29 PM IST

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