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कालोनी निर्माण में नियमों की अनदेखी, गरीबों के प्लाट गायब
डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । जिले में तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण के चलते कालोनी व्यवसाय तेजी से फला फूला और कालोनाईजरों ने कालोनियां काटकर खूब धन कमाया, यक क्रम अभी भी जारी है। कालोनियों का तो अंबार लग गया लेकिन इनके निर्माण में निर्धारित मापदण्डों को एकदम दरकिनार कर दिया। कालोनी एक्ट के तहत हर कालोनी में 15 प्रतिशत भूखंड अथवा आवास छोडे जाते है जो सस्ती दर पर गरीब वर्ग को उपलब्ध कराए जाते है लेकिन जिले में इस नियम का कही कोई पालन नही हुआ। प्रशासन भी इस मामले में पूरी तरह उदासीन है नतीजतन गरीब अपने बाजिव हक से वंचित है।
ज्ञातव्य है कि जिला मुख्यालय अर्थात् नरसिंहपुर एवं आसपास क्षेत्र को मिलाकर यहां लगभग एक सैकड़ा कालोनियां है। इस मामले में प्रशासन के पास केवल इतनी जानकारी है कि इनमें से केवल 19 कालोनियां वैध है तथा 68 को अवैध की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा आसपास क्षेत्रों में कृषक भूमि या तो कालोनाइजरों को बेच रहे है या फिर स्वयं कालोनियां काट रहे है। इसकी प्रशासन को कोई जानकारी नही है। किस कालोनाइजर ने अपनी कालोनी में 15 प्रतिशत भूखंड आरक्षित किया है इस मामले में भी प्रशासन अनभिज्ञ है।
गरीब हो रहे शहर से बाहर
शहर के अंदर पॉश कालोनियां बड़ी संख्या में बन गई है, यहां प्लाट के रेट इतने अधिक होते है कि गरीब वर्ग तो दूर मध्यमवर्ग के व्यक्ति भी जगह खरीदने में असमर्थ हो रहे है। ऐसे में गरीब वर्ग शहर से बाहर हो रहे है। नगरपालिका ने गरीबों के लिए जनपद पंचायत की मद से शहर से 2 किमी दूर भटिया टोला में भूमि का नामान्तरण कराकर आवास बनाए है। पूर्व पालनखेत एवं गणेश मंदिर के पास गरीबों के लिए आवास बनाकर आवंटित किये थे लेकिन इनके आवंटन में विवाद है जिसका समाधान नही हुआ।
ऐसे होता है वंटन
नियमानुसार कॉलोनाइजर नगर पालिका में प्लाटों की सूची सौंपते है। इन प्लांटों के आवंटन के लिए एक समिति होती है, जिसमें कलेक्टर, नगरपालिका सीएमओ और डूडा अधिकारी शामिल होते हैं। प्लाटों के आवंटन के लिए आवेदन बुलाए जाते है। जिसके बाद लाटरी पद्धति से या प्राथमिकता के आधार पर प्लाटों का आवंटन किया जाता है लेकिन शहर में अभी तक प्लाटों के आवंटन की प्रक्रिया ही नहीं की गई। नतीजतन कालोनाइजरों ने बंधक रखे प्लाट छुड़ा लिए और बाजार रेट पर दूसरे लोगों को बेच दिए।
उपलब्ध जानकारी में भी भ्रम
जिला मुख्यालय में अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय एवं नगरपालिका की संयुक्त कालोनियों की जानकारी भी प्रथम दृष्टया भ्रमपूर्ण है। मसलन प्रपत्रों में नगर में 8 कालोनी ऐसी है जहां 15 प्रतिशत आरक्षित भूमि का क्षेत्रफल दर्शाया गया है, परंतु जब इस भूमि के सत्यापन की बात होती है तो ऐसी कालोनियों की संख्या बढ़कर 15 हो जाती है। साफ है जब आरक्षित भूमि का शेष कालोनियों का क्षेत्रफल ही नही दर्शाया गया है तो उस जमीन का सत्यापन कैसे हो गया।
नपा के पास नही पुख्ता जानकारी
शहर में चल रहे कई प्रोजेक्टों में बिल्डर और कॉलोनाइजरों ने रजिस्टे्रशन भी नहीं कराए है, जिससे इन कॉलोनियों की कुल लागत और अनुबंध को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। नियमानुसार कॉलोनी के विकास के लिए बिल्डर के 25 फीसदी प्लॉट बंधक रखे जाना चाहिए, जिसकी कीमत पर अनुबंध में स्टांप ड्यूटी लगाई जाती है। यह राशि बिल्डरों को अदा करना होती है। इस संबंध में भी नपा के पास कोई पुख्ता जानकारी तक नहीं है।
इनका कहना है
नपा के सीमा क्षेत्र से संबंधित कालोनियों में गरीबों के आवास के लिए छोड़े गए भूखंड की स्थिति जानने एवं नपा के लिए प्राप्त करने प्रशासन व शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया जाएगा। ताकि नियमानुसार गरीब पात्र लोगों को कालोनियों में आवास मिल सके।
श्रीमती अर्चना नीरज महाराज, नपा अध्यक्ष, नरसिंहपुर
Created On :   26 Feb 2018 5:44 PM IST