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आदिवासी हॉस्टल बना असामाजिक तत्वों का अड्डा, रेप की घटना के बाद बंद पड़ा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बुधवारी बाजार स्थित महाराष्ट्र शासन का आदिवासी हॉस्टल वर्षों से बंद है। यह परिसर अब जंगल में तब्दील हो गया है। काेई वहां जाता तक नहीं। बड़े क्षेत्र में फैले इस स्थान पर कभी छात्रावास हुआ करता था। दुष्कर्म की एक घटना के कारण लड़कियों का यहां आना कम हो गया और धीरे-धीरे छात्रावास बंद हो गया। अब यह असामाजिक तत्वों का डेरा बन चुका है।
इसलिए बंद हुआ हॉस्टल
महाराष्ट्र शासन आदिवासी विकास आयुक्तालय द्वारा हर शहर में आदिवासी छात्रावास बनाए गए थे। विद्यानगर, बुधवारी बाजार में भी उसी कड़ी का एक छात्रावास था। रहवासियों का कहना है कि यहां पर एक छात्रा के साथ अत्याचार की घटना हुई थी, जिस पर खूब बवाल मचा। उसके बाद यहां पर विद्यार्थियों का आना बंद हो गया था। अब असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। परिसर में कई कमरे बने हुए हैं। रात में पीछे के रास्ते शराबी परिसर में घुस जाते हैं। देख-रेख के लिए कोई न होने के कारण उनके लिए सुविधाजनक और सुरक्षित स्थान हो गया है।
बना पार्किंग एरिया
बिल्डिंग के आगे भी झाड़ियां उग गई हैं। पता ही नहीं चलता कि पीछे कोई बिल्डिंग है। मेनगेट भी टूटा हुआ है। आस-पास के लोग और सामने बने डंपिंग यार्ड में आने-जाने के कारण कनक कंपनी के कर्मचारी वहां पर अपने वाहन पार्क कर देते हैं।
अंदर जाने के कई रास्ते
परिसर में जाने के लिए एक मेनगेट है। चाराें ओर फेंसिंग की गई थी, लेकिन वह भी तोड़ दी गई है। बिल्डिंग में हर कमरे में खिड़कियां बनी हुई हैं, लेकिन उन्हें भी तोड़ दिया गया है। अब अंदर जाने के कई रास्ते बन गए हैं। कहीं से भी जाकर कोई भी कमरे तक पहुंच सकता है। खिड़की तोड़ कर बना दिया दरवाजा परिसर के पीछे की ओर एक बड़ी खिड़की थी, जिसकी दीवार तोड़ कर परिसर में जाने का रास्ता बना दिया। इस रास्ते से पूरे परिसर में घूम सकते हैं। परिसर में कई आपत्तिजनक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। हर कमरे के गेट टूटे हुए है। जंगली पौधे और झाड़ियां उग चुकी हैं।
फिर शुरू हो गया आना-जाना
मैं यहां पर 4 साल काम कर रहा हूं। तब से यह बंद है। पहले यहां पर किसी लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ था। इसके बाद लोगों को आना-जाना कम हो गया। पुलिस भी दिखती थी, लेकिन अब कोई नजर नहीं आता, इसलिए रात में फिर से लोगों का आना-जाना शुरू हो गया।
-श्रीराम, ठेला दुकानदार, बुधवारी बाजार
रात होते ही पहुंचते हैं शराबी
कोई भी व्यक्ति आता-जाता है यहां, कोई भी ध्यान नहीं देता। जब से मैं यहां पर हूं, तब से यह बंद है। दिन में तो कोई नहीं आता, लेकिन रात में चोर-बादमाशों और बाहरी लोगों का आना जाना शुरू हो जाता है।
-सुनिल, ठेला दुकानदार, बुधवारी बाजार
Created On :   23 April 2019 12:26 PM IST