छग सरकार की मप्र से बाघ लाने की तैयारी, जीटीएफ के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री बघेल की हरी झंडी

Chief Minister Baghel gave green signal to the proposal of GTF
छग सरकार की मप्र से बाघ लाने की तैयारी, जीटीएफ के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री बघेल की हरी झंडी
छत्तीसगढ़ छग सरकार की मप्र से बाघ लाने की तैयारी, जीटीएफ के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री बघेल की हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) के प्रस्ताव के क्रियान्वयन की अनुमति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दे दी है। राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सूबे में बाघों की संख्या बढ़ाने पड़ौसी मप्र से बाघ लाए जाएंगे। इन बाघों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में फिर से टाइगरों को पुनर्स्थापित करने के लिए टायगर छोडऩे के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, बारनवापारा अभ्यारण्य में वर्ष 2010 तक टाइगर पाए जाते थे। उन्होंने बताया कि टाइगर रि-इंट्रोडक्शन एवं टाइगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभ्यारण्य में बाघ पुर्नस्थापना का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। 

यह फैसले भी हुए

बारनवापारा अभ्यारण्य फिर बनेगा बाघों का रहवास
वन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क को मजबूत किया जाएगा
हाथी मानव द्वंद रोकने जागरूकता अभियान को गति
वन्य प्राणियों के लिए पानी और चारागाह विकसित किए जाएंगे
वनों की 10 किमी की परिधि के गांवों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा

छत्तीसगढ़ के साथ छलावा हो रहा : बघेल

रायपुर।  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आरक्षण को लेकर भाजपा और राजभवन के बीच राजनीति चल रही है, जो छत्तीसगढ़ के साथ छलावा है। राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के हित में नहीं है। भाजपा नेताओं ने पहले आरक्षण मुद्दे पर मार्च पास्ट किया। लेकिन अब चुप हैं। राज्यपाल को अधिकार नहीं है फिर भी वो पत्र लिख रही है और जो काम करना चाहिए वह नहीं कर रही है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सैकड़ों-हजारों पद स्वीकृत है और भर्तियां होनी है। लेकिन राज्यपाल बिल को लेकर बैठीं हैं। न तो वे बिल को वापस कर रही हैं और न ही हस्ताक्षर कर रही हैं। यह यहां के अजा-जजा और पिछड़े वर्ग के लिए बहुत नुकसानदायक है।

Created On :   21 Dec 2022 1:06 PM IST

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