मनपा को बर्खास्त करने का प्रस्ताव , 18 साल बाद इतिहास दोहराने की फिर तैयारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2002 में राज्य सरकार ने नंदलाल कमेटी बनाकर नागपुर महानगरपालिका को क्रीड़ा सामग्री मामले में बर्खास्त किया है। ऐसे में दोबारा इतिहास दोहराने की आशंका जताई जा रही है।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में इन 9 मुद्दों को बनाया आधार
1. मनपा में 500 से 800 करोड़ रुपए के बिल बकाया है
2. 5 साल से सरकार की अनेक योजनाओं में मनपा द्वारा हिस्सा नहीं देने से 5 वर्ष के काम 8 से 10 साल में भी पूरे नहीं हुए।
3. निधि नहीं होने के बावजूद मनपा ने बजट में ज्यादा की निधि प्रस्तावित कर बड़े पैमाने पर काम मंजूर करवाए।
4. कर्मचारियों के जीपीएफ, पेंशन फंड का पैसा ठेकेदारों को भुगतान किया गया, यह कानूनन अपराध है।
5. करोड़ों का बकाया अभी देना बाकी है और नए काम लेकर करोड़ों रुपए के नए दायित्व निर्माण किए गए हैं।
6. सरकार की अनेक योजनाओं पर मनपा ने पैसा नहीं दिया, जिससे योजनाओं के काम रुक गए हैं।
7. शहर में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात हैं, मनपा की अर्थव्यवस्था बुरी तरह गड़बड़ा गई है।
8. शहर में जनता को बुनियादी सुविधा और विकास कार्य से वंचित रहना पड़ रहा है।तीव्र असंतोष है।
9. अर्थव्यवस्था डूबने से तत्काल नागपुर महानगरपालिका को बर्खास्त करने का आदेश दिया जाए।
राजनीतिक चर्चाओं का दौर जारी
फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को कार्यवाही में शामिल करने के लिए मंजूर कर लिया है। जल्द यह प्रस्ताव विधानसभा में चर्चा के लिए आएगा। ऐसे में सबका ध्यान सरकार के जवाब पर टिक गया है। फिलहाल नागपुर शहर की राजनीति में इस प्रस्ताव से हड़कंप मच गया है। दिन भर इसे लेकर राजनीतिक चर्चाओं का दौर जारी रहा।
विफल रहने के आरोप
मुंबई से शिवसेना विधायक सुनील प्रभू, प्रकाश फातर्पेकर, रमेश कोरगांवकर, अजय चौधरी ने महाराष्ट्र विधानसभा नियम 105 अन्वय ध्यानाकर्षण सूचना के तहत यह नोटिस दिया। प्रस्ताव में नागपुर महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े किए गए है, जिसमें एक तरह मनपा में सत्तापक्ष भाजपा को आर्थिक नियोजन करने में विफल होने का आरोप लगाया गया है।
बातों से समझें... आगे क्या हो सकता है
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को पटल पर रखने की मंजूरी मिल गई है। ऐसे में यह जल्द विधानसभा में चर्चा के लिए रखा जाएगा। सरकार का जवाब क्या होगा, इस पर सबका ध्यान लगा है।
अगर सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच कमेटी गठित करती है और जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितता व संकटों का हवाला देती है तो मनपा पर प्रशासक की नियुक्ति होना तय है।
प्रशासक की नियुक्ति ही मनपा की बर्खास्तगी होगी, जिसके बाद मनपा में जनप्रतिनिधियों का राज खत्म हो जाएगा। हालांकि इसे भाजपा की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती मिलना भी तय है।
न्यायालयीन प्रक्रिया में छह महीने से एक साल लगना तय है। तब तक मनपा के नये चुनाव की तिथि करीब होगा। वर्ष 2022 में नागपुर महानगरपालिका में चुनाव है।
Created On :   6 March 2020 4:56 AM GMT