बाघ की दहशत से रबी की फसल प्रभावित
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। नये वर्ष की शुरुआत हो चुकी है किंतु मूल सावली तहसील के किसानों में अब भी गतवर्ष के हिंसक पशुओं के हमले जेहन में बसे हैै। एक सप्ताह में तीन लोग बाघ का शिकार हो गए। इसके बाद आक्रोशित महिलाएं वनविभाग कार्यालय पर पहुंची और अपना रोष प्रदर्शित किया। वर्तमान में रबी की फसलें खेत में हंै किंतु किसान हरी सब्जी, अरहर की देखभाल के लिए खेतों में जाने से डर रहे हैं, जिससे फसल बर्बाद होने की आशंका है। तहसील के दहेगांव, चिचाला, कांतापेठ, चिरोली, जानाला, करवन, काटवन, भांदूर्णी, उसराला, चिमढा, टेकाड़ी, फिस्कुटी गांव बाघ की दहशत में है।
सावली तहसील के खेडी, कवठी, पारडी, रुद्रापुर, उसेगांव में बाघ की दहशत बनी है। जंगल क्षेत्र न होने के बावजूद बोरचांदली, चिमढा, फिस्कुटी गांव के किसानों को शाम ढले बाघ दिखाई दे रहा है इससे किसानों में दहशत फैली है। खेडी, कवठी, पारडी, रुद्रापुर में भी बाघ दिखाई दे रहा है जिससे गांव वासियों में डर का माहौल है। इसलिए किसान अब जान है तो जहान है यह सोचकर खेती की ओर अनदेखी किए हैं, शाला, काॅलेज जाने वाले विद्यार्थियों में भी दहशत है इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है। कुछ शाला के शिक्षकों को विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाना पड़ रहा है। बाघ का बंदोबस्त करने वनों के चारों ओर सुरक्षा दीवार, कटीली तार की बाड़, चारों ओर सोलर लाइट, वनों से सटे गांव में वनविभाग की गश्त चौकी बनाये, किसानों के मवेशियों को चराने के लिए वनविभाग से आरक्षित जगह उपलब्ध करवाने की मांग की है। मूल तहसील के कांतापेठ और सावली के खेड़ी परिसर में वनविभाग ने बाघ को कैद करने पिंजरा लगाने की जानकारी है किंतु एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी बाघ पिंजरे में नहीं आया है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बाघ ने दूसरा ठिकाना तलाश लिया होगा।
Created On :   3 Jan 2023 3:54 PM IST