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कैग ने आडिट को लेकर कहा 6 से नौ माह का लगेगा का समय
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महालेखा परीक्षक(कैग) के प्रधिकृत अधिकारी ने हलपनामा दायर कर बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि मुंबई –पुणे एक्सप्रेस वे के टोल वसूली की कथित अनियमितता जुड़े आरोपों के संदर्भ में राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) के खाते का फिर से आडिट करने में 6 से नौ माह का वक्त लगेगा। जबकि उसका साल 2021-2022 का आडिट प्लान तैयार हो चुका है।
वरिष्ठ डिप्टी अकाउंटेंट जनरल ने हलफनामे में कहा है कि मुंबई-पुणे एक्स्प्रेस के टोल से जुड़े विषय का आडिट हो चुका है। और इस बारे में कमेटी आफ पबल्कि अंडरटेकिंग(सीओपीयू) चर्चा कर चुकी है। और उसकी ओर से उचित निर्देश जारी किए जा चुके है। इसके अलावा कैग का साल 2021-22 का आडिट प्लान तैयार हो चुका है। ऐसे में यदि वह दोबारा मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे से जुड़े विषय को देखेगी तो उसे कम से कम 6 से नौ महीने का वक्त लगेगा।
हलफनामे में कहा गया है कि (सीओपीयू) के निर्देश काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए अदालत से आग्रह है कि वह 18 मार्च 2021 को इस मामले को लेकर दिए गए अपने उस आदेश पर पुनर्विचार करे। जिसके तहत कैग को आडिट करने को कहा गया था। हलफनामे में कहा गया है कि यदि उन्हें इस याचिका से पक्षकार के रुप में हटाया जाता है तो याचिका में उठाए गए विषय पर असर नहीं पड़ेगा।
वरिष्ठ डिप्टी अकाउंटेंट जनरल ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका के जवाब में यह हलफनामा दायर किया है। श्री वाटेगांवकर ने अपनी याचिका में कहा है कि ठेकेदार ने टोल के रुप में निर्धारित रकम से अधिक राशि वसूल कर ली है। इसलिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे में साल 2019 के बाद टोल वसूली को अवैध घोषित किया जाए।और टोल वसूली पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा याचिका में टोल वसूल करनेवाले ठेकेदार ने जो अतिरिक्त रकम वसूल की है उसे एमएसआरडीसी के खाते में जमा करने के लिए कहा जाए।
मामले कि पिछली सुनवाई के दौरान श्री वाटेगांवकर ने दावा किया था कि 918 करोड़ रुपए के अग्रिम भुगतान की राशि के बाद प्राइवेटफर्म को 15 साल के लिए(साल2004 से 10 अगस्त 2019) टोल वसूली का ठेका दिया गया था। ताकि एक्सप्रेस वे में लगी पूजी(कैपिटल आउटले) की वूसली की जा सके। जब ठेका दिया गया था तो 15 साल की अवधि के दौरान 4330 करोड़ रुपए के रजास्व आने की अपेक्षा व्यक्त की गई थी। लेकिन 31 जुलाई 2019 तक 6773 करोड़ रुपए का राज्सव आया है जो अपेक्षित राशि से 2443 करोड़ रुपए अधिक था। जिसे निजी फर्म ने अपने पास रखा। इस लिहाज से साल 2019 के बाद एक्सप्रेस वे पर टोल की वसूली अवैध है।
इस बीच सरकार ने 2030 तक एक्सप्रेस वे में टोल वसूली के ठेके को जारी रखने का निर्णय किया है। क्योंकि सरकार के मुताबिक अभी तक एक्सप्रेस वे की लागत की वसूली नहीं हो पायी है। एमएसआरडीसी को अभी भी 22 हजार 370 करोड़ रुपए की वसूली करना बाकी है। इन दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कैग को आड़िट करने का निर्देश दिया था। वाटेगांवकर ने बताया कि दिवाली की छुट्टियों के बाद वे अपनी याचिका का हाईकोर्ट के सामने सुनवाई के लिए उल्लेख करेंगे।
Created On :   23 Oct 2021 8:04 PM IST