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लग्जरी कारें छोड़ क्यों बैलगाड़ी पर चल दिए दूल्हा - दुल्हन
डिजिटल डेस्क, टीकमगढ़। शादी समारोह में यूं तो लोग वेस्टर्न संस्कृति के दिखावे में लाखों रुपए लुटा देते हैं, परंतु बदलते दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं। जो आज भी अपनी परंपरा को सहेजने में लगे हैं। ऐसी ही अनोखी शादी और विदाई शहर के लोगों ने देखी। विवाह में आए मेहमानों का स्वागत पहले तो बुंदेली व्यंजन कढ़ी, बरा, कचौरियां, खीचला से किया गया। फिर जब विदाई का समय आया तो लग्जरी कारों की जगह आधा दर्जन बैलगाड़ी सजाकर रखीं गईं। दूल्हा-दुल्हन के साथ लड़के वाले बैलगाड़ी में बैठकर अपने घर पहुंचे। बैलगाड़ियों के पीछे दर्जन भर लग्जरी कारें भी चल रहीं थीं ।
रास्ते में जिसने भी देखा उसने इस बुंदेली परंपरा से की गई शादी समारोह की तारीफ की। वहीं मेहमानों ने भी कहा कि यह अनोखी शादी सबको हमेशा याद रहेगी। शहर के भैरव मोहल्ला निवासी प्रकाश अग्रवाल ने अपने भतीजे कुशल अग्रवाल की शादी बुंदेली परंपरा से कराई। लड़की वाले उत्तरप्रदेश के कौंच से आए थे। दिन में बारात निकली और मैरिज गार्डन में विवाह की रस्में सपन्न हुईं। बुंदेली रीति-रिवाज से कुशल और मोनिका ने एक दूसरे का हाथ थामा। खाने में मेहमानों को बुंदेली व्यंजन परोसे गए। विवाह समारोह में कम खर्च के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। बारात में न तो पटाखे फोड़े गए और न ही डीजे बजाया गया। प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि पटाखों से पक्षियों को नुकसान पहुंचता है। डीजे से भी ध्वनि प्रदूषण होता है। इसलिए पर्यावरण को ध्यान में रखकर शादी की गई है।
विदाई में बजे बुंदेली वाद्य यंत्र
होटल फोर्ट व्यू से विदाई समारोह हुआ। आलीशान होटल के बाहर आधा दर्जन बैलगाड़ी सजाई गई। जिसमें दूल्हा-दुल्हन के साथ लड़के के परिजन बैठकर घर पहुंचे। इस दौरान रास्ते में बुंदेली वाद्य यंत्र रमतूला बजाया गया। शहर की मुख्य सड़कों से होकर निकली इस विदाई को जिसने भी देखा, उसने कहा कि आज बुंदेली परंपराओं को सहेजने का बेहतर प्रयास है। इसके पहले नए साल के उपलक्ष्य में 1 जनवरी को पपौरा रोड स्थित सुदर्शन छात्रावास से एक दर्जन बैलगाड़ी में बैठकर छात्रावास के बच्चे और समिति के सदस्य कुंडेश्वर पहुंचे थे। इस दौरान भी लोगों ने समिति के लोगों की सराहना की थी।
Created On :   29 Jan 2019 2:14 PM IST