ब्रह्मानंद तथा सावित्री मंडावी होंगी आमने-सामने, भाजपा ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे तो कांग्रेस ने जनसहानुभूति को ध्यान में रख फाइनल की टिकिट

Brahmanand and Savitri Mandavi will be face to face
ब्रह्मानंद तथा सावित्री मंडावी होंगी आमने-सामने, भाजपा ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे तो कांग्रेस ने जनसहानुभूति को ध्यान में रख फाइनल की टिकिट
भानुप्रतापपुर उपचुनाव ब्रह्मानंद तथा सावित्री मंडावी होंगी आमने-सामने, भाजपा ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे तो कांग्रेस ने जनसहानुभूति को ध्यान में रख फाइनल की टिकिट

डिजिटल डेस्क , रायपुर। भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख (17 नवंबर) से एक दिन पहले कांग्रेस ने भी अपने  प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। भाजपा के आदिवासी चेहरे ब्रह्मानंद नेताम के सामने कांग्रेस की सावित्री मंडावी होंगी। सावित्री दिवंगत कांग्रेस विधायक तथा विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की पत्नी हैं। उपचुनाव मनोज के निधन से रिक्त हुई सीट के लिए हो रहे हैं। ये दोनों नाम फाइनल किए जाने के पीछे कांग्रेस तथा भाजपा की अपनी थ्योरी और चुनावी रणनीति है। भाजपा आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर सूबे में बनी गरमाहट को अपने पक्ष में भुनाने की फिराक में है तो कांग्रेस भानुप्रतापपुरा में दिवंगत विधायक मनोज और उनके परिवार के प्रति उपजी जनता की सहानुभूति का लाभ उठाना चाहती है।

भाजपा के लिए गढ़ भेदने की चुनौती

भाजपा आदिवासी आरक्षण के मुद्दे के साथ चुनाव मैदान में है। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के गढ़ को भेदने और उसके उपचुनाव में चले आ रहे शत-प्रतिशत सफलता के रिकॉर्ड को तोडऩे की भी है। इसलिए उसने आदिवासी संगठनों में अच्छी पैठ रखने वाले तथा एक बार मनोज मांडवी को पराजय का स्वाद चखाने वाले ब्रह्मानंद नेताम को मैदान में उतारा है। ब्रह्मानंद भानुप्रतापुरा से 2008 में विधायक भी रह चुके हैं।

पति की विरासत संभालने नौकरी छोड़ी

विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री रायपुर के कटोरा तालाब स्थित सरकारी स्कूल में व्याख्याता थीं। जब निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव का कार्यक्रम जारी किया। उसी दिन दोपहर बाद ही उन्होंने टीचर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि दिवंगत मनोज की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सावित्री को उम्मीदवार बनाने की बात कहते हुए साफ कर दिया था कि अब उन्हें ही अपने पति की राजनीतिक विरासत को संभालना है।

Created On :   17 Nov 2022 12:58 PM IST

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