काटोल उपचुनाव को लेकर कोर्ट की आपत्ति, कहा- निर्वाचन आयोग का फैसला अयोग्य

Bombay high court objection in katol by election,say EC decision wrong
काटोल उपचुनाव को लेकर कोर्ट की आपत्ति, कहा- निर्वाचन आयोग का फैसला अयोग्य
काटोल उपचुनाव को लेकर कोर्ट की आपत्ति, कहा- निर्वाचन आयोग का फैसला अयोग्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काटोल विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अवैध करार दिया है। जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला की खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनावी नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने निरीक्षण दिया कि क्षेत्र में चुनावी नोटिफिकेशन जारी करते समय निर्वाचन आयोग ने कई पहलुओं पर गौर नहीं किया है। 

6 माह में होने चाहिए थे चुनाव

दरअसल,हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता संदीप सरोदे के अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने मुद्दा उपस्थित किया था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीट खाली होने के बाद वहां 6 माह में चुनाव कराने होते हैं। विधायक आशीष देशमुख के 6 अक्टूबर 2018 को इस्तीफा देने के बाद यहां 5 अप्रैल तक ही चुनाव होने थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसके बाहर जाकर 11 अप्रैल को चुनाव प्रस्तावित किए थे। नियम यह भी कहता है कि उपचुनाव तभी होना चाहिए, जब क्षेत्र में आम चुनावों को एक वर्ष से कम का समय मिले। उपचुनावों में विजयी उम्मीवार को कम से कम एक वर्ष का कार्यकाल मिलना चाहिए। ऐसे में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग का निर्णय खारिज कर दिया। कोर्ट ने उन्हें सभी मुद्दों पर गौर करने के बाद उपचुनावों पर फिर से विचार करने की छूट दी है। एड. भंडारकर को एड. निधि दयानी और एड. मनीष शुक्ला ने सहयोग किया। 

चुनाव का इसलिए विरोध


काटोल के  विधायक आशीष देशमुख के इस्तीफा देने के बाद से यह सीट खाली है। याचिकाकर्ता ने विधानसभा चुनाव को चुनौती दी थी। तर्क था कि अभी चुनाव कराने से मनुष्यबल, संसाधनों के अलावा अनावश्यक खर्च होगा, क्योंकि 6 माह में ही काटोल समेत प्रदेश भर में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य सरकार पहले ही काटोल को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर चुकी है। ऐसे में 11 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के कारण जनता का खर्च बढ़ेगा और इससे कोई फायदा नहीं होगा। मामले में हाईकोर्ट ने 19 मार्च काे आदेश जारी करते हुए चुनाव पर अंतरिम स्थगन लगाया था। इधर चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली, लेकिन उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। नागपुर खंडपीठ के स्थगन के कारण क्षेत्र में 11 अप्रैल को विधानसभा उपचुनाव नहीं हो सका। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय दिया गया है। मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम. जी. भांगडे, राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड. जेमिनी कासट और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने पक्ष रखा। 
 

Created On :   13 April 2019 1:07 PM IST

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