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नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोपी को हाईकोर्ट ने समाज के लिए माना खतरा
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पांच साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करनेवाले आरोपी ( स्कूल बस कंडक्टर) को समाज के लिए खतरा मानते हुए उसे सुनाई गई सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसे आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वह फिर से इसी तरह के अपराध को नहीं करेगा।
पाक्सो कोर्ट ने नाबालिग बच्ची का यौन उत्पीड़न करनेवाले आरोपी स्कूल बस कंडक्टर उदय कुमार को अगस्त 2019 को पाक्सो कानून के तहत दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई। आरोपी के वकील ने दावा किया कि पीड़ित लड़की की गवाही व मेडिकल राय के अलावा मेरे मुवक्किल के खिलाफ दूसरा कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके अलावा पीड़िता ने आरोपी का नाम गणेश बताया था जबकि मेरे मुवक्किल का नाम उदय है। इसलिए मेरे मुवक्किल को सुनाई गई सजा पर रोक लगाई जाए और अपील के प्रलंबित रहते उसे जमानत पर रिहा जाए।
अतिरिक्त सरकारी वकील ने आरोपी की सजा पर रोक लगाने से जुड़ी राहत का विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीड़िता ने आरोपी को प्रत्यक्ष रुप से पुलिस के सामने पहचाना है। ऐसे पीड़िता की गवाही पर संदेह नहीं जताया जा सकता है। आरोपी के खिलाफ काफी ठोस सबूत है। इसलिए उसे राहत न दी जाए।
दोनों पक्षों को सुनने बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रथमदृष्टया आरोपी के खिलाफ काफी ठोस सबूत नजर आ रहे है।
आरोपी ने जिस तरीके अपराध को अंजाम दिया है उसके मद्देनजर आरोपी को जमानत पर छोड़ना सुरक्षित नहीं होगा। इसके साथ ही इस संभवना से इंकार नहीं किया जा सकता कि वह दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा। हम नाबालिग का यौन उत्पीड़न करनेवाले की सजा को लेकर समाज की वैध अपेक्षा को नजर अंदाज नहीं कर सकते है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने आरोपी के सजा पर रोक लगाने संबंधी आवेदन को खारिज कर दिया।
Created On :   16 Feb 2020 9:57 PM IST