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दिल्ली में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा सकता है, सीएम केजरीवाल ने दिए संकेत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा सकता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसके संकेत दिए हैं। दरअसल, सीएम केजरीवाल से सवाल किया गया था कि कुछ राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है, क्या दिल्ली में भी घोषित करने की स्थिति है? इसपर उन्होंने जवाब दिया, "अगर जरूरत पड़ेगी तो हम जरूर करेंगे जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी हम वह सारे स्टेप उठाएंगे।"
सीएम केजरीवाल ने कहा कि सभी डॉक्टर और हॉस्पिटल से मैं अपील करना चाहता हूं कि स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल करें। यह सामने आया है कि बहुत ज्यादा स्टेरॉयड इस्तेमाल करने से यह समस्या बढ़ रही है। जो भी मरीज है वह अपनी शुगर का बहुत ख्याल रखें शुगर और स्टेरॉयड का मिश्रण होकर ब्लैक फंगस ज्यादा बढ़ रहा है। इसके बारे में हम जनता को जागरूक भी करेंगे। उन्होंने कहा, ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए, हमने 3 सरकारी अस्पतालों GTB, एलएनजेपी और राजीव गांधी अस्पताल में खास इंतजाम किए हैं।
क्या है म्यूकरमायकोसिस?
म्यूकरमायकोसिस एक दुर्लभ संक्रमण है। ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है। ये फंगस हर जगह होती है। मिट्टी में और हवा में। यहां तक कि स्वस्थ इंसान की नाक और बलगम में भी ये फंगस पाई जाती है। ये फंगस साइनस, दिमाग़ और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज़ के मरीज़ों या बेहद कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों के मरीज़ों में जानलेवा भी हो सकती है। म्यूकरमायकोसिस में मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक है।
स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल बन रही वजह
कोविड-19 के मरीजों में फफड़ों की सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल किया जाता है। जब शरीर का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अतिसक्रिय हो जाता है तो उस दौरान शरीर को कोई नुक़सान होने से रोकने में स्टेरॉइड्स मदद करते हैं। लेकिन इससे शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है। डायबिटीज़ या बिना डायबिटीज़ वाले मरीज़ों में शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं। यही वजह है कि कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों को म्यूकरमायकोसिस संक्रमण हो रहा है।
क्या है म्यूकरमायकोसिस के लक्षण?
म्यूकरमायकोसिस से संक्रमित लोगों में ये लक्षण पाए जाते हैं - नाक बंद हो जाना, नाक से ख़ून या काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना और आख़िर में अंधापन होना। मरीज़ के नाक के आसपास काले धब्बे भी हो सकते हैं। कई मरीज़ डॉक्टर्स के पास देर से आते हैं, तब तक ये संक्रमण घातक हो चुका होता है और उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी होती है। ऐसे में डॉक्टर्स को संक्रमण को दिमाग़ तक पहुंचने से रोकने के लिए उनकी आंख निकालनी पड़ती है।
Created On :   20 May 2021 8:10 PM IST