भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर से हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न निर्वाचन निरस्त किया जाए 

भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर से हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न निर्वाचन निरस्त किया जाए 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने भोपाल से भाजपा की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया जाए। जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को नियत की गई है।
 

भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि उन्हें बाबरी मस्जिद तोड़ने पर गर्व है 

भोपाल निवासी पत्रकार राकेश दीक्षित की ओर से चुनाव याचिका दायर भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के निर्वाचन को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि भोपाल लोकसभा सीट से साध्वी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। चुनाव के दौरान उन्होंने धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले बयान दिए थे। याचिका में कहा गया कि भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि उसे बाबरी मस्जिद तोड़ने पर गर्व है, वह खुद मस्जिद को तोडने के लिए गई थी। इसके साथ ही साध्वी ने प्रचार के दौरान बार-बार यह बयान दिया कि कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद कहकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की है। आरोपों के समर्थन साध्वी के बयानों के सीडी और अखबारों में प्रकाशित समाचार की कटिंग लगाई है। अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव, राजेन्द्र गुप्ता, दिनेश उपाध्याय और शफीक गौहर ने तर्क दिया कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने भी साध्वी पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगाया था। चुनाव के दौरान धार्मिक भावनाएं भड़काना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (ए) (बी) के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने भोपाल सांसद को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
 

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया की दूसरी बार जमानत खारिज

हाईकोर्ट ने व्यापमं घोटाले के आरोपी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया की दूसरी बार जमानत खारिज कर दी है। जस्टिस नंदिता दुबे और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने आवेदक और सीबीआई का पक्ष सुनने के बाद जमानत खारिज करने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट पहले भी एक बार जमानत खारिज कर चुकी है। सीबीआई की ओर से पेश आरोप-पत्र में कहा गया कि सुरेश भदौरिया पर व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। इस मामले में आरोपी ने मार्च 2019 में भोपाल सीबीआई की कोर्ट में आत्म समर्पण किया था। तब से वह भोपाल जेल में है। दूसरी बार पेश जमानत आवेदन में कहा गया कि आवेदक गंभीर रूप से बीमार है। आवेदक का इलाज एम्स भोपाल और मेडिकल कॉलेज भोपाल में नहीं हो सकता है। आवेदक को इलाज कराने के लिए जमानत दी जाए। सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जेके जैन ने जमानत का विरोध किया। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अपने आदेश में कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार आवेदक को एम्स भोपाल और मेडिकल कॉलेज भोपाल में ही चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इस अभिमत के साथ युगल पीठ ने जमानत खारिज कर दी है।
 

Created On :   2 Aug 2019 2:08 PM IST

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