राजाबाक्षा हनुमान मंदिर में दशहरे पर भोसले राजा करते थे शस्त्र पूजन
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूं तो नागपुर शहर में कई प्राचीन मंदिर हैं जिनका अलग-अलग इतिहास रहा है । हम बात कर रहे हैं शहर के प्राचीनतम आस्था केंद्रों में से एक राजाबाक्षा हनुमान मंदिर की। ऐसा कहा जाता है कि शस्त्र पूजन के बाद भोसले राजा चौथ वसूली शुरू करते थे। संकटमोचन हनुमानजी के आशीर्वाद से भोसला साम्राज्य बंगाल तक फैला था।राजमहल से जुलूस निकाल कर राजाबाक्षा हनुमान मंदिर आते थे। अपने शस्त्रों को नदी में धोकर मंदिर में लाकर उनका पूजन करते थे। वापस लौटने के बाद चौथ वसूली के लिए ओडिशा, बंगाल, उत्तरप्रदेश प्रस्थान करते थे। यह सीमोल्लंघन कहलाता था।
बगीचा और तालाब
इतिहासकार चंद्रशेखर गुप्त के अनुसार राजाबाक्षा के दो नाम बताए जाते ‘राजा बाग सवार’ और ‘राजा बाक्सर’ था। कालांतर में यह राजाबाक्षा हो गया। हनुमान मंदिर परिसर में एक बगीचा और तालाब भी था। यहीं पर भोसले राजाओं की अश्व सेना रहती थी। रघुजी राजा भोसले द्वितीय की पुत्री राजकुमारी गणुबाई की शादी भोसलों के सरदार गुर्जर परिवार मंे हुई थी। गुर्जर परिवार ही मंदिर की देखरेख करता रहा है।
जयंती पर शोभायात्रा
हनुमान जयंती पर सन् 1997 में शोभायात्रा की शुरुआत हुई थी। सन्मित्र मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष विवेक तिवारी के नेतृत्व में 1997 से 2001 तक मंदिर के मैदान से निकाली गई। 2002 से मंदिर से शोभायात्रा ट्रस्ट द्वारा शोभायात्रा निकाली जा रही है।
Created On :   6 March 2020 12:38 PM IST
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